मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े स्थलों को विकसित करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाते हुए इसके लिए ‘श्री कृष्ण पाथेय ट्रस्ट’ के निर्माण को मंजूरी दे दी है। मध्य प्रदेश कैबिनेट ने ये कदम लोक न्यास अधिनियम 1951 के अंतर्गत भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े स्थलों को तीर्थस्थल के तौर पर विकसित करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है।
प्रदेश कैबिनेट ने ट्रस्ट को मंजूरी देते हुए स्पष्ट किया कि प्रदेश के जिन स्थानों पर भी भगवान श्री कृष्ण के चरण पड़े थे, उन सभी स्थानों का विकास, संरक्षण किया जाएगा। साथ ही सभी क्षेत्रों में पेंटिंग, फिल्मांकन, रिकॉर्डिंग और सिनेमेटोग्राफी की जाएगी। इसके साथ ही ट्रस्ट की ये जिम्मेदारी होगी कि वो इन ऐतिहासिक स्थलों का विकास करने के बाद देश और विदेशों में इनका प्रचार भी करेगा।
साथ ही प्रदेश के उज्जैन स्थित ऐतिहासिक महर्षि संदीपनी आश्रम का भी विकास किया जाएगा। क्योंकि ऋषि संदीपनी के आश्रम में भी भगवान श्रीकृष्ण ने बलराम और सखा श्री दामा के साथ शिक्षा ग्रहण किया था। इस ट्रस्ट के अंतर्गत शिक्षा संस्कृति, कृषि, गौ और पशुधन संरक्षण की विरासतों को विकसित करने पर कार्य किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री यादव खुद भी उज्जैन के ही रहने वाले हैं। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव होंगे। इसमें 28 सदस्य और 23 पदेन सदस्य होंगे। इसके साथ ही 5 विद्वानों को भी इसका ट्रस्टी घोषित किया जाएगा। ये आधिकारिक होंगे, गैर आधिकारिक सदस्यों का कार्यकाल 3 साल का होगा।
गौरतलब है कि श्रीकृष्ण पाथेय ट्रस्ट का मुख्यालय प्रदेश की राजधानी भोपाल में होगा, जो कि सीधे सीएम मोहन यादव के मातहत कार्य करेगा। ये ट्रस्ट भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं और उज्जैन को केंद्र मानकर उनकी यात्राओं से युवाओं को अवगत कराएगा। साथ ही कोशिश होगी कि युवाओं को ट्रस्ट के साथ जोड़ा जा सके।
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