उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद और श्री हरिहर मंदिर को लेकर एक बड़ा विवाद उभरकर सामने आया है। हिंदू पक्ष का दावा है कि वर्तमान जामा मस्जिद के स्थान पर पहले श्री हरिहर मंदिर था, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे अपनी ऐतिहासिक मस्जिद मानता है। इस विवाद के चलते अदालत के आदेश पर मस्जिद का सर्वेक्षण शुरू हो गया है, जिसके बाद जिले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
मामला तब गंभीर हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दावा पेश किया कि जामा मस्जिद, दरअसल, एक प्राचीन मंदिर के ऊपर बनाई गई है। कोर्ट ने इस दावे को लेकर मस्जिद का सर्वेक्षण कराने के लिए ‘एडवोकेट कमीशन’ नियुक्त किया। आदेशानुसार, मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई।
हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद के नीचे प्राचीन मंदिर के अवशेष हो सकते हैं। इसी के आधार पर न्यायालय ने यह सर्वेक्षण कराया है।
सर्वेक्षण शुरू होते ही संभल प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। मस्जिद के मुख्य द्वार के सामने आरआरएफ के जवान तैनात किए गए हैं। मस्जिद की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। संवेदनशील इलाकों में PAC बल भी तैनात किया गया है। एडिशनल एसपी ने खुद जामा मस्जिद का दौरा कर वहां सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया और पुलिसकर्मियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए हुए है। एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि भड़काऊ या आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर कोई भी अफवाह फैलाने की कोशिश हुई तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
हिंदू पक्ष ने श्री हरिहर मंदिर के दावे को मजबूती से रखते हुए कहा है कि इस मामले में न्यायालय में प्रमाण पेश किए जाएंगे। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह उनकी ऐतिहासिक मस्जिद है और इसे लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा हुए और नारेबाजी की।
सर्वेक्षण के दौरान भारी पुलिस बल मौजूद था, लेकिन माहौल तनावपूर्ण बना रहा। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि संभल में श्री हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भविष्य में कल्कि अवतार का जन्म यहीं होगा। उनका दावा है कि वर्ष 1529 में बाबर ने इस मंदिर को तोड़कर इसे मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। इसी आधार पर हमने याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के बाद सच्चाई सामने आएगी। यह क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है, इसलिए यहां किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता।
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