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अनचाहे मैसेजों की परेशानी हो रही हल : ट्राई की नई पहल के आने लगे सकारात्मक परिणाम

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नई दिल्ली ।  भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अनचाहे मैसेज को रोकने के लिए उठाए गए उपायों में सफलता की ओर कदम बढ़ाया है। पिछले तीन महीनों में इन संदेशों से जुड़ी शिकायतों में गिरावट दर्ज की गई है। ट्राई के मुताबिक, अनचाहे संदेशों के स्रोत तक पहुंचने के लिए किए गए उपाय और तकनीकी उन्नयन सकारात्मक परिणाम दे रहे हैं। इसके साथ ही, ट्राई ने सेवा प्रदाताओं के लिए समय सीमा बढ़ाकर इस महीने के अंत तक कर दी है।

अनचाहे मैसेज की शिकायतों में गिरावट

ट्राई की रिपोर्ट के अनुसार, अपंजीकृत प्रेषकों के खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों की संख्या अगस्त 2024 में 1.89 लाख थी। यह सितंबर 2024 में घटकर 1.63 लाख हो गई, जो 13 प्रतिशत की गिरावट है। वहीं, अक्टूबर 2024 में यह आंकड़ा और घटकर 1.51 लाख पर पहुंच गया, जो अगस्त 2024 की तुलना में 20 प्रतिशत की कमी दर्शाता है।

ट्राई के निर्देश और समय सीमा में बदलाव

दूरसंचार मंत्रालय के अनुसार, ट्राई ने 20 अगस्त 2024 को मैसेज ट्रैसेबिलिटी बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों के तहत, सभी सेवा प्रदाताओं को 1 नवंबर 2024 तक तकनीकी उन्नयन करना था। हालांकि, प्रमुख संस्थाओं (पीई) और टेलीमार्केटर्स (टीएम) ने तकनीकी उन्नयन और ट्रैसेबिलिटी श्रृंखला लागू करने के लिए अधिक समय की मांग की।

28 अक्टूबर 2024 को ट्राई ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए अंतिम समय सीमा 30 नवंबर 2024 तक बढ़ा दी। इससे सेवा प्रदाताओं को अनचाहे संदेशों के स्रोत को ट्रेस करने में और मदद मिलेगी।

ट्राई के कदमों का प्रभाव

ट्राई द्वारा उठाए गए इन कदमों का उद्देश्य न केवल उपभोक्ताओं को राहत देना है, बल्कि पंजीकृत और अपंजीकृत प्रेषकों के बीच पारदर्शिता लाना भी है।

  • शिकायतों में गिरावट : अनचाहे संदेशों की संख्या में कमी ने ट्राई के प्रयासों की प्रभावशीलता को प्रमाणित किया है।
  • स्रोत तक पहुंचने की सुविधा : तकनीकी उन्नयन से संदेशों के असली स्रोत का पता लगाने में आसानी होगी।
  • उपभोक्ता जागरूकता : ट्राई के प्रयास उपभोक्ताओं को अनचाहे संदेशों से बचाने और उन्हें सुरक्षित डिजिटल अनुभव प्रदान करने की दिशा में हैं।

ट्राई द्वारा किए गए उपायों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। अनचाहे संदेशों की शिकायतों में कमी इस बात का संकेत है कि नियामक और सेवा प्रदाताओं के बीच समन्वय सफल हो रहा है। अंतिम समय सीमा 30 नवंबर 2024 तक बढ़ाने से तकनीकी उन्नयन को अधिक मजबूती मिलेगी।

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