उत्तर प्रदेश

जामा मस्जिद में हरि हर मंदिर का दावा: कोर्ट ने दिया सर्वेक्षण का आदेश, जानें पूरा मामला

Published by
Mahak Singh

संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें इसे पहले हरि हर मंदिर के नाम से जाना जाने का दावा किया गया है। इस संबंध में, एक स्थानीय अदालत ने मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने इस मामले को अदालत में उठाया और अब इस पर एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा।

याचिका में क्या कहा गया है?

याचिकाकर्ता का दावा है कि संभल की जामा मस्जिद का निर्माण 1529 में मुगल शासक बाबर के आदेश पर हुआ था। याचिका के अनुसार, मस्जिद के निर्माण के लिए एक प्राचीन हरि हर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया था। विष्णु शंकर जैन ने दावा किया है कि यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसे हरि हर मंदिर और कल्कि अवतार से जोड़ा गया है।

मस्जिद का इतिहास

संभल की जामा मस्जिद को बाबरी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है और इसे मुगलकालीन वास्तुकला का महत्वपूर्ण उदाहरण माना जाता है। कहा जाता है कि इसका निर्माण मीर बेग द्वारा करवाया गया था। इस ऐतिहासिक मस्जिद का निर्माण बाबर के शासनकाल में हुआ, और यह संभल के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है।

ऐतिहासिक दावों के अनुसार, बाबर ने 1528 में यहां एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। हालांकि, यह दावा ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से विवादित है और अब इसे अदालत के निर्देश पर सर्वेक्षण के जरिए प्रमाणित करने की कोशिश की जाएगी।

कोर्ट का आदेश

संभल की सिविल अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर को निर्देश दिया है कि मस्जिद का विस्तृत सर्वेक्षण किया जाए। इस सर्वे में यह जांच की जाएगी कि मस्जिद के नीचे या आसपास किसी प्राचीन मंदिर के अवशेष मौजूद हैं या नहीं। अदालत ने यह आदेश याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।

काशी और मथुरा के बाद तीसरा मामला

यह मामला काशी और मथुरा के बाद तीसरा बड़ा मामला है, जिसमें मस्जिद के स्थान पर मंदिर होने का दावा किया गया है। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पहले से ही चर्चा में हैं। संभल का यह मामला अब इस सूची में जुड़ गया है और देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

संभल को हिंदू मान्यताओं में कल्कि अवतार की जन्मभूमि के रूप में देखा जाता है। यह स्थान सदियों से धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि इस स्थान की धार्मिक पहचान को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।

 

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