जनसंख्या को लेकर इस नई रिपोर्ट से राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके नेताओं की नींद उड़ी हुई है। स्कूलों से लेकर कालेजों तक में घटती जन्म दर के प्रति चिंता और जनसंख्या बढ़ाने के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए अब तक की गईं सारी कोशिशें बेअसर साबित हुई हैं। इसीलिए कयास लगाया गया है कि आने वाले दस साल में उस देश में जनसंख्या में हैरतअंगेज कमी देखने में आएगी।
कभी दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी होने का तमगा पाए चीन के लिए आज संकट यह खड़ा हो गया है कि विवाहित जोड़े बच्चे ही पैदा नहीं कर रहे हैं। सबसे ज्यादा आबादी आज भारत की मानी जाती है। लेकिन चीन के लिए चिंता की एक बड़ी वजह यह है कि आबादी में यह उतार थमने की बजाय बढ़ता दिख रहा है। कहा जा रहा है कि आने वाले दस साल में इस आबादी का 5 करोड़ 10 लाख और कम हो जाना तय है।
यह नई रिपोर्ट कम्युनिस्ट नेताओं की नींद उड़ाए हुए है। कारण यह कि चीन सरकार द्वारा विवाहितों को तमाम तरह के प्रलोभन देने के बाद भी बच्चे पैदा होना बहुत कम हो गया है। महंगाई, बेरोजगारी और सरकार की आमजन के प्रति लापरवाही ने जोड़ों में बच्चे पैदा करने को लेकर उत्साह नहीं रहा है। सरकारी नौकरी से लेकर तमाम भत्ते बढ़ाने के सरकार के वादे भी उस उत्साह को लौटा नहीं पा रहे हैं।
वैसे, वहां आबादी गत कई दशक से बढ़ी ही दिखती है। लेकिन आज उस देश को यही समझ नहीं आ रहा है कि जनसंख्या को और बढ़ाने के लिए और कौन से उपाय किए जाएं, और क्या लालच दिए जाएं। बच्चे कम पैदा होने की वजह से चीन में वृद्धों की संख्या में बेतहाशा बढ़त दिख रही है।
बच्चे पैदा करने को लेकर निराशा का भाव इतना गहरा हो चुका है कि चीन में अब युवक—युवतियां शादी तक करने से तौबा कर रहे हैं। उस कम्युनिस्ट देश में आबादी के तेजी से घटने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह है कि लोग शादियां ही नहीं कर रहे हैं।
जनसंख्या को लेकर इस नई रिपोर्ट से राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके नेताओं की नींद उड़ी हुई है। स्कूलों से लेकर कालेजों तक में घटती जन्म दर के प्रति चिंता और जनसंख्या बढ़ाने के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए अब तक की गईं सारी कोशिशें बेअसर साबित हुई हैं। इसीलिए कयास लगाया गया है कि आने वाले दस साल में उस देश में जनसंख्या में हैरतअंगेज कमी देखने में आएगी।
यह रिपोर्ट ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की है। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि जनसंख्या के संदर्भ में चीन में भविष्य बहुत नाजुक लग रहा है। संस्था का अंदाजा है कि 2035 तक कम्युनिस्ट देश की जनसंख्या सिर्फ 1.36 अरब रह जाएगी। बीते एक साल के दौरान चीन में बच्चे पैदा होने की दर में कुछ समय के लिए ही बढ़ोतरी देखने में आई थी। इस साल भी कमोबेश वैसा ही रहने की उम्मीद है। वहां विवाह की दर तो एकदम नीचे जा पहुंची है, ऐसे में बच्चे पैदा हों भी तो कैसे!
कम्युनिस्ट देश आज सामाजिक तथा आर्थिक संकटों से गुजर रहा है। एक आकलन है कि भविष्य के दशक भी चीन में जनसंख्या को लेकर लगातार गिरावट ही दिखेगी बल्कि यह गिरावट और तेजी से बढ़ेगी।
रिपोर्ट पेश करने वाली संस्था का मानना है कि अगर चीन के नीतिकार युवाओं में परिवार बढ़ाने को लेकर रही हिचक को दूर करने पर ध्यान दें तो शायद इससे बच्चों की जन्म दर में सुधार हो। इसके लिए बाल चिकित्सा सेवा आदि में कीमतों और सेवा शुल्कों पर नियंत्रण करना आवश्यक है।
एक वक्त था जब चीन बच्चे पैदा करने पर नियंत्रण के उपाय बहुत सख्ती से लागू कर रहा था। इस वजह से ज्यादा बच्चे पैदा होने पर कई तरह का जुर्माना भरना पड़ता था, दंड सहना पड़ता था। वक्त के साथ समाज में इसका भय गहराता गया, और बच्चे पैदा होना कम हो गया। महंगाई के अलावा नित बदल रहे सामाजिक मूल्यों ने भी उलटा असर किया है। युवतियां बच्चे पैदा करने को लेकर उत्साहित नहीं रही हैं। इससे आबादी में नौजवान कम, वृद्ध अधिक होते जा रहे हैं।
टिप्पणियाँ