हिमाचल की कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका : दिल्ली में हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश, नीलामी कर अपना बकाया वसूलेगी कंपनी
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हिमाचल की कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका : दिल्ली में हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश, नीलामी कर अपना बकाया वसूलेगी कंपनी

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने यह आदेश 64 करोड़ रुपये के बकाए को लेकर दिया।

by WEB DESK
Nov 19, 2024, 03:43 pm IST
in हिमाचल प्रदेश
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शिमला । हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर की गई अनुपालना याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए गए हैं। कोर्ट ने आदेश दिया है कि कंपनी को अपनी बकाया राशि वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने की अनुमति दी जाए।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने यह आदेश 64 करोड़ रुपये के बकाए को लेकर दिया। दरअसल, हिमाचल सरकार ने एक बिजली कंपनी का बकाया भुगतान नहीं किया जिसके लिए उच्च न्यायालय ने यह आदेश जारी करते हुए कम्पनी को हिमाचल भवन की नीलामी के बाद अपना बकाया वसूलने की सुविधा दी है।

मामले के अनुसार सैली हाइड्रो पावर कंपनी नाम की कंपनी का सरकार पर 64 करोड़ रुपया अपफ़्रंट प्रीमियम बकाया है जिसका भुगतान नहीं करने के मामले में हाई कोर्ट ने ये आदेश जारी किया है। ये राशि प्रदेश सरकार के पास लाहौल स्पीति स्थित बिजली प्रोजेक्ट के संचालन को लेकर सैली हाइड्रो पावर कंपनी द्वारा अपफ़्रंट प्रीमियम के तौर पर जमा कराई गई थी। बाद में ये प्रोजेक्ट कंपनी ने सरकार को वापस दे दिया क्योंकि कंपनी का आरोप है कि सरकार ने प्रोजेक्ट के संचालन के लिए ज़रूरी सुविधाएँ नहीं दी। ऐसे में अपफ्रंट प्रीमियम की राशि सरकार की तरफ से कंपनी को नहीं लौटायी गई, जिसके बाद कंपनी इस मामले को लेकर कोर्ट पहुँच गई।

अब हाई कोर्ट ने कंपनी के हित में फैसला देते हुए हिमाचल प्रदेश की दिल्ली स्थित संपत्ति हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश दिए हैं। साथ ही 64 करोड़ रुपया पर ब्याज की राशि का भी भुगतान करने के कोर्ट ने आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश दिया है कि वे यह तथ्यात्मक जांच करें कि किस अधिकारी या अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह राशि अभी तक जमा नहीं की गई। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि दोषी अधिकारियों से इस ब्याज की राशि व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा।

हाई कोर्ट ने मामले की जांच के लिए 15 दिनों की समयसीमा निर्धारित की है और अगली सुनवाई की तारीख 6 दिसंबर 2024 तय की है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बात की स्पष्ट जानकारी देने के लिए कहा कि किस कारण से बकाया राशि का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। जबकि इसे कई साल पहले वसूल किया जाना चाहिए था।

यह मामला वर्ष 2009 से जुड़ा हुआ है, जब राज्य की तत्कालीन सरकार ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड को लाहौल स्पीति में 320 मेगावाट के बिजली प्रोजेक्ट का आवंटन किया था। इसके तहत कंपनी को बीआरओ द्वारा सड़क निर्माण कार्य उपलब्ध कराया गया था। सरकार ने समझौते के तहत कंपनी को जरूरी मूलभूत सुविधाएं देने का वादा किया था, ताकि परियोजना समय पर पूरी हो सके। लेकिन बाद में कई विवादों के चलते कंपनी ने 2017 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी, जिसके बाद यह मामला कानूनी दांव-पेंचों में उलझ गया। कम्पनी का आरोप है कि सरकार इस परियोजना के लिए मूलभूत सुविधाएं देने में नाकाम रही।

फैसले का अध्ययन करेगी सरकार : सुक्खू

राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश की प्रति अभी उन्होंने नहीं पढ़ी है। उन्होंने कहा कि अपफ्रंट प्रीमियम 2006 की ऊर्जा नीति के तहत तय किया जाता है। आर्बिट्रेशन का फैसला चिंताजनक है और सरकार फैसले का अध्ययन करेगी।

भाजपा ने सरकार पर साधा निशाना

इस बीच हिमाचल भवन की नीलामी के फरमान ने राज्य की सत्तारूढ़ सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। फिलहाल यह मुद्दा विपक्ष के लिए बड़ा राजनीतिक हथियार बनता दिख है। हिमाचल प्रदेश भाजपा ने हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल भवन जो राज्य का गौरव है, वह आज कुर्क किए जाने के कगार पर है। यह प्रदेश के लिए अत्यंत शर्मनाक घटना है। मुख्यमंत्री और उनकी सरकार ने राज्य की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है तथा हिमाचल अब नीलामी के दौर में है।

वहीं, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने भी प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। सरकार अपना पक्ष कोर्ट में नहीं रख पा रही है, इसलिए हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश दिए गए हैं। यह सरकार की विफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

सौजन्य – सिंडिकेट फीड

Topics: हिमाचल भवन पर हाईकोर्टHimachal BhawanAttachment of Himachal BhawanHigh Court on Himachal Bhawanहिमाचल प्रदेश हाईकोर्टHimachal Pradesh High Courtहिमचाल भवनहिमाचल भवन की कुर्की
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