अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और गूगल के बीच चल रहे प्रतिस्पर्धा-विरोधी मामले ने नया मोड़ ले लिया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, न्याय विभाग न्यायालय से आग्रह करने की तैयारी कर रहा है कि गूगल को अपना लोकप्रिय क्रोम ब्राउज़र बेचने के लिए मजबूर किया जाए। यह कदम गूगल पर लगे सर्च मार्केट में एकाधिकार बनाए रखने के आरोपों से जुड़ा है। क्रोम, दुनिया का सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला वेब ब्राउजर, गूगल के अन्य उत्पादों को बढ़ावा देने का एक प्रमुख साधन माना जाता है, जिससे प्रतिस्पर्धा को गंभीर नुकसान हो रहा है।
गूगल पर आरोप
न्याय विभाग का मानना है कि गूगल सर्च इंजन और क्रोम ब्राउजर के जरिए बाजार में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए ऐसे अनुबंध और नीतियां अपनाता है जो प्रतिस्पर्धा को बाधित करती हैं।
गूगल पर आरोप है कि वह अपने ब्राउजर और अन्य सेवाओं के जरिए उपयोगकर्ताओं को अपनी सर्च सेवाओं की ओर जबरन आकर्षित करता है।
गूगल के उत्पादों को प्राथमिकता देने से प्रतिस्पर्धियों को बाजार में प्रवेश करने और विस्तार करने के सीमित अवसर मिलते हैं।
क्रोम ब्राउजर गूगल के लिए सिर्फ एक ब्राउज़र नहीं है, बल्कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो गूगल के अन्य उत्पादों (जैसे गूगल सर्च, जीमेल, यूट्यूब) को बढ़ावा देने का जरिया बन चुका है। न्याय विभाग का कहना है कि गूगल इसके जरिए अपनी पकड़ और मजबूत कर रहा है, जिससे प्रतिस्पर्धा के लिए रास्ते लगभग बंद हो गए हैं।
गूगल की ओर से ली-एन मुलहोलैंड ने ब्लूमबर्ग को दिए बयान में कहा कि न्याय विभाग के कदम कानूनी मुद्दों से “कहीं आगे” बढ़ रहे हैं। उन्होंने न्याय विभाग पर “कट्टरपंथी एजेंडे” का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे न केवल गूगल बल्कि पूरे प्रौद्योगिकी उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिकी न्याय विभाग गूगल से कुछ अहम बदलाव करने की मांग कर सकता है। इनमें एंड्रॉयड को गूगल सर्च और गूगल प्ले से अलग करने की शर्त भी शामिल है। हालांकि, गूगल को एंड्रॉयड को बेचना नहीं कहा जाएगा। इसके अलावा, गूगल को विज्ञापनदाताओं के साथ ज्यादा जानकारी साझा करनी होगी और उन्हें यह अधिकार देना होगा कि वे तय करें कि उनके विज्ञापन कहां दिखाई जाएं।
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