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फिजी: पिता की मृत्यु पर सिर मुंडवाने के बाद हिन्दू युवती अंशिका ने पूरी की अंतिम संस्कार की रस्म

Published by
Kuldeep singh

सनातन धर्म में माता-पिता का दर्जा सबसे ऊपर माना गया है। कहा जाता है कि माता पिता की सेवा ही सच्चा कर्म है। ऐसी ही एक घटना फिजी से प्रकाश में आई है, जहां पिता की मृत्यु के बाद अंशिका राव नाम की हिन्दी युवती ने वैदिक परंपरा के तहत अपने का अंतिम संस्कार करने के लिए अपना सिर मुंडवा लिया। उसके बाद उन्होंने परंपरागत रीतियों के तहत अंतिम संस्कार की सभी रस्मों को पूरा किया।

फिजियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये घटना फिजी के रा प्रांत के ग्रामीण रकीराकी जिले की है। रकीराकी द्वीपीय देश के सबसे द्वीप विटी लेवु के उत्तरी तट पर बसा हुआ है। यहीं की हिन्दू युवक अर्नेस्ट एल्विस की मृत्यु के पश्चात उनकी बेटी अंशिका राव ने सनातन परंपरा के अनुरूप पिता का अंतिम संस्कार किया। अंशिका साउथ पैसिफिक यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की तीसरे वर्ष की छात्रा हैं।

हालांकि, दावा किया जाता है कि ये फिजी में आम बात है कि बेटियां अपने परिजनों की मृत्यु पर उनका अंतिम संस्कार करती हैं। लेकिन, ये पहली बार है जब एक बेटी ने पिता के अंतिम संस्कार के लिए अपना सिंर मुंडवा लिया।

आमतौर पर पुरुष करते हैं अंतिम संस्कार

गौरतलब है कि सानातन परंपराओं के अनुसार किसी हिन्दू व्यक्ति की मृत्यु पर परिवार का बेटा या कोई अन्य पुरूष ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करता है। इसके बाद पुरूष सिर मुंडन करवाते हैं। क्योंकि सिर मुंडवाने की रस्म को किसी प्रियजन की मृत्यु के पश्चात शुद्धिकरण और भौतिक आसक्तियों से अलगाव का प्रतीक माना जाता है।

जबकि, महिलाओं को श्मशान जाना वर्जित होता है। साथ ही महिलाएं मृत्यु पर सिर भी नहीं मुंडवाती हैं। क्योंकि, स्त्रियों के लंबे बालों को पारंपरिक रूप से शालीनता और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। लेकिन, अंशिका ने पिता के अंतिम संस्कार के लिए ये कदम उठाया।

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