नारी शिक्षा : प्राचीन होकर भी लगे नया सा विचार
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम मत अभिमत

नारी शिक्षा : प्राचीन होकर भी लगे नया सा विचार

नारी शिक्षा का विषय गत 70 वर्षों में बहुत अधिक उभर कर आया है, और ऐसा होना साहजिक भी है क्योंकि इन्हीं 70 वर्षों में यह विमर्श तैयार किया गया कि प्राचीन भारत में नारी को शिक्षा का कोई अधिकार नहीं था एवं वह शोषित – उत्पीड़ित है ।

by जान्हवी नाईक
Nov 18, 2024, 04:34 pm IST
in मत अभिमत
प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

नारी शिक्षा का विषय गत 70 वर्षों में बहुत अधिक उभर कर आया है, और ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि इन्हीं 70 वर्षों में यह विमर्श तैयार किया गया कि प्राचीन भारत में नारी को शिक्षा का कोई अधिकार नहीं था एवं वह शोषित – उत्पीड़ित है । जबकि यह विमर्श पूर्णतः निराधार है I “भारत की संत परंपरा व सामाजिक समरसता” में में स्पष्ट लिखा है कि “स्त्रियों को यज्ञोपवीत पहनने का अधिकार था, वेद पाठ का अधिकार था व विभिन्न प्रकार की कलाएं सीखने का अधिकार था I”

इसी के साथ पति का चुनाव कोई नया विषय नहीं है, जिसे आधुनिकता की देन समझकर आज के युवाओं के समक्ष परोसा जाता है, आज से शताब्दियों पूर्व स्त्रियों को अपना पति चुनने की स्वतंत्रता थी। पिता स्वयम्वर सभाओं का आयोजन करते थे, जिसमे लड़की अपनी इच्छा से अपने पति का चयन करती थी। इस प्रकार की सुविधाएं इसलिए दी गई थीं, कि वे शिक्षित थी और अपना अच्छा तथा बुरा वे सही ढंग से सोचने में सक्षम थी। किन्तु आज के परिप्रेक्ष्य में यह कहना गलत नहीं होगा कि विमर्श ; सत्य से बड़ा है, जो कि एक विडम्बना है I तो फिर हमारे समक्ष यह प्रश्न उपस्थित होता है कि नारी शिक्षा आखिर क्या है एवं किन मानकों को हम नारी शिक्षा के अंतर्गत समिल्लित कर सकते हैं?

नारी शिक्षा को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है – “सीखने – सिखाने की क्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा के माध्यम से मनुष्य के ज्ञान एवं कला – कौशल में वृद्धि करके उसके अनुवांशिक गुणों को निखारा जा सकता है और उसके चरित्र को आकार दिया जा सकता है। शिक्षा व्यक्ति की बुद्धि, बल और विवेक को उत्कृष्ट बनाती है वहीं एक अशिक्षित व्यक्ति जानवर के समान है। कहते हैं कि एक अशिक्षित नारी गृहस्थी की भी देखभाल अच्छे से नहीं कर सकती।”

आज जब हम भारत के विश्व गुरु होने की बात करते हैं तो निश्चित ही उसमें नारियों का योगदान रहा है। माता अनुसुइया, मंदोदरी, कौशल्या, कैकयी आदि सभी प्रकार से शिक्षित रही हैं। उसका कारण है कि प्राचीन काल में शिक्षा का स्वरुप वेद-शास्त्र- विद्याओं-कलाओं पर आधारित था, उस आचार्य –शिष्य परंपरा से ही नारियां सशक्त नारियां बनकर उभरीं जो न केवल संस्कृति की ध्वजवाहक बनीं अपितु राष्ट्र के उत्थान और राष्ट्र सुरक्षा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया किंतु मुगलों के शासनकाल में शिक्षा, कला, साहित्य तथा अन्य विविध गुणों को प्राप्त करने की परिस्थितियां मिट सी गई थी।

भारतीय इतिहास में मध्यकाल भीषण त्रासदियों का काल था, मुस्लिम आक्रान्ताओं ने अचंभित कर देने वाली कलाकृति व वैज्ञानिक शिल्पकला से युक्त करोड़ों विराट देवालय अर्थात मंदिर व मूर्तियों को तोड़ा, उन्हें छिन्न – भिन्न कर दिया, असंख्य हिन्दुओं की मुस्लिम शासकों द्वारा निर्मम हत्याएं की गईं I उसी काल में इन क्रूर शासकों के सैनिक व अन्य दरबारी हिन्दू लड़कियों का अपहरण व बलात्कार करते थे, ऐसे में साहजिक है कि स्त्रीयों का घर से बाहर निकलना भी दूभर था फिर शिक्षा ग्रहण करने हेतु जाना असम्भव और निरर्थक ही प्रतीत होता था, तब स्वयं के प्राणों और अस्तित्व का बचाव अधिक आवश्यक था।

स्त्रियों के प्राणों की रक्षा हेतु उनकी शिक्षा पर अल्पकालीन प्रतिबन्ध लगाया गया किन्तु दुर्भाग्यवश कालान्तर में यह एक कुप्रथा बन गई व भारत की संस्कृति स्त्री दमनकारी संस्कृति है; ऐसा विमर्श अंग्रेजों और भूरे साहबों द्वारा विश्व में तैयार किया गया। जबकि इस सत्य पर कभी प्रकाश नहीं डाला गया कि कथित विकसित आधुनिक देशों जैसे अमेरिका- यूरोप में भी स्त्री के प्रति दमनकारी भाव विद्यमान थे ; उदाहरणार्थ एक विदेशी महिला ने कई उपन्यास अपने पति के नाम से लिखे क्योंकि महिला के नाम से उपन्यास नहीं बिकते थे, वहां का जनमानस स्त्रियों की बौद्धिक क्षमता को कितना तुच्छ मानता होगा इसका आंकलन इस उदाहरण से किया जा सकता है। किन्तु केवल भारत में ही, कुछ लोगों की विकृत मानसिकता को समस्त भारत की संस्कृति से जोड़कर भारत व सनातन धर्म को विदेशी फंडिंग के सहारे एक सुनियोजित षड़यंत्र के अंतर्गत कुख्यात किया जाता है।

खैर…तत्पश्चात 18वी सदी में स्त्री शिक्षा का पुनर्जागरण काल प्रारंभ हुआ, जिसमे कुछ कथित नारी शिक्षा के समर्थक व प्रचारक बनकर उभरे, जैसे राजा राम मोहन रॉय, सावित्रीबाई फुले, ज्योतिबा फुले इत्यादि I

नारी शिक्षा का महत्त्व प्राचीन काल से है, उसे नए सिरे से नए विषय के रूप में रखा जाना भारत विरोधी शक्तियों का षड्यंत्र है जिसे विफल हमें वास्तविक सन्दर्भ ग्रंथों का अध्ययन व तथ्यों का प्रसार करते हुए करना होगा।

वर्तमान की शिक्षा पद्धत्ति से ही आज नारी प्रत्येक क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किये जा रही है किन्तु उस अकादमिक शिक्षा पद्धत्ति में नैतिकता व संस्कारों का अत्यधिक अभाव है,जिसके चलते आज की नारियों का झुकाव पश्चिम विचारों की ओर अधिक है, छद्म नारीवाद व दिन प्रतिदिन घटते सामाजिक मूल्य उसी का परिणाम हैं। आज की जिन शिक्षा पद्धति में कौनसे बिंदुओं को आज सम्मिलित करने की आवश्यकता है, वे इस प्रकार हैं –

  • भारत की शिक्षा पद्धत्ति में सर्वप्रथम वेदान्त को सम्मिल्लित करने की आवश्यकता है जिससे समस्त विद्यार्थी वर्ग पुन: अपनी जड़ों से जुड़ सके।
  • शिक्षा दो प्रकार से क्षेत्रीय आधार पर हो – नगरीय व ग्रामीण। परिवेश के अनुसार शिक्षा में परिवर्तन किये जाने चाहिए।
  • आज की शिक्षा पद्धत्ति में नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर अधिक प्रबल देना चाहिए, सामाजिक पतन का कारण नैतिक शिक्षा का अभाव ही है।
  • साथ ही आज भी निर्धन वर्ग (चाहे वह किसी भी जाति से सम्बन्ध रखता हो) को शिक्षा प्राप्त करने में आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, इसलिए शिक्षा सभी को सहज रूप से उपलब्ध होनी चाहिए।
  • आज की नारी शिक्षा में शस्त्र कला व विभिन्न प्रकार के कौशल को भी समिल्लित किया जाना चाहिए, हालाँकि इस दिशा में कार्य हो रहे हैं।
  • रोजगार उन्मुख शिक्षा पर तो केंद्र गत कई वर्षों से जोर दे ही रही है फिर भी यह लाभ प्रत्येक वर्ग की महिला तक अभी नहीं पहुंचा है, इस पर और सुनियोजित पद्धत्ति से कार्य करने की आवश्यकता है।

इस प्रकार नारी शिक्षा इस तरह से होनी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को उचित तरीके से पूरा करने में सक्षम हो सकें। शिक्षा के द्वारा वे जीवन के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं। एक शिक्षित महिला अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जानती हैं। वह देश के विकास के लिए पुरुषों के समान अपना योगदान दे सकती हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि नारी की शिक्षा को अब अनुपयोगी नहीं समझा जा सकता। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी कन्याएँ भी अनिवार्य रूप से विद्यालय जाएँ और नैतिकतापूर्ण शिक्षा ग्रहण करें जो न केवल उन्हें उनकी गृहस्थी चलाने में व नौकरी दिलाने में सहायक हो अपितु राष्ट्र को भी मजबूत बनाने में भी सहायक सिद्ध हो।

 

 

Topics: women educationभारत की संत परंपराभारतीय इतिहासनारी शिक्षा
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पेशवा बाजीराव बल्लाळ

पेशवा बाजीराव बल्लाळ की पुण्यतिथि पर रावेरखेड़ी में भव्य आयोजन, शौर्य और समर्पण की अनकही गाथा

‘अकबर महान पढ़ाया, लेकिन छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता क्यों छुपाई.?’ : क्रिकेटर ने एक्स पर पूछा बड़ा सवाल

इतिहास में नक्शों एवं वंशावली का महत्व

#ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय : हिन्दू विरोधी धुरी पर टिका ‘ज्ञान’

आम सभा बैठक में शामिल प्रतिनिधि

वार्षिक बैठक संपन्न

इतिहास के पन्नों में 18 जुलाई : अंग्रेज जाते-जाते भारत को दे गए विभाजन की टीस

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies