देहरादून: विश्व विख्यात दून स्कूल में बनाई जा रही मजार को ध्वस्त करने की कारवाई के बाद अब सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल ये है कि अवैध रूप से मजार तो बनाई जा रही थी? अब इसे कौन बनवा रहा था? बनाने वाले पर शासन प्रशासन ने क्या कारवाई की? सब तरफ से आरोप की सूइयां उस मुस्लिम ठेकेदार पर जा कर टिक रही हैं, जिसने दून स्कूल की दीवार पीछे सरकाई और उसके पुनर्निर्माण में लगे हाथ उसने मजार भी बनवा दी।
अब एक सवाल ये उठता है कि बिना जिला प्रशासन जिसमें प्राधिकरण, स्मार्ट सिटी, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राज मार्ग और दून स्कूल प्रशासन इस मजार के निर्माण प्रकिया पर एक दूसरे पर दोषारोपण करने में लगे हुए हैं, ऐसे में उस ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? जिसने देहरादून शहर में बीचों-बीच और विश्व विख्यात स्कूल की चार दीवारी के भीतर मजार बनाने का दुस्साहस किया।
उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर दून स्कूल में मजार बनाए जाने फिर उसे ध्वस्त करने की खबर दुनियाभर में वायरल हुई। पिछले मंगलवार यानि 12 नवंबर को इस मजार को नगर प्रशासन द्वारा बनाने वाले श्रमिकों से ही ध्वस्त करवाया गया था।
दून स्कूल प्रशासन ने अपने अभिभावकों को पत्र लिख कर इस मजार संरचना के लिए लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार को दोषी ठहराया गया और विभाग द्वारा स्कूल प्रबंधन से माफी मांगने की बात भी कही गई।
उधर स्मार्ट सिटी के लोक निर्माण विभाग के सहायक परियोजना प्रबंधक द्वारा दून स्कूल को एक पत्र 12 नवंबर को भेजा जिसमें उसने स्वीकार किया कि उनके ठेकेदार ने ये निर्माण किया है। दिलचस्प बात ये थी कि दून स्कूल कैंपस के भीतर जब मजार एक हफ्ते से बन रही थी तब भी ये स्कूल प्रशासन की नजरो में क्यों नहीं आई? कहा जा रहा है कि स्कूल प्रबंधन को ये भ्रामक जानकारी दी गई कि यहां कपड़े धोने की जगह बनाई जा रही है। जबकि यहां पानी तक की व्यवस्था नहीं थी।
एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि सरकारी महकम्में के भीतर इन कट्टरपंथी मुस्लिम ठेकेदारों की घुसपैठ हो गई है जो कि सरकारी ही नहीं निजी जमीनों पर अवैध कब्जे कर उन पर मजार या अन्य धार्मिक संरचनाएं बनाने का दुस्साहस कर रहे हैं।
अब सवाल ये है कि इस मजार को बनाने वाले मुस्लिम ठेकेदार के खिलाफ शासन प्रशासन ने क्या कोई मामला दर्ज किया ? इस का जवाब अभी न में ही है। तो क्या स्मार्ट सिटी प्रशासन अपने ठेकेदार के खिलाफ कोई कारवाई करने से बच रहा है ?
इस बारे में स्मार्ट सिटी परियोजना की प्रमुख सोनिका से जब पूछा गया तो उनका कहना था जिला प्रशासन को मामला दर्ज करना है। हमने जिला प्रशासन को पत्र लिख दिया है।
उधर जिलाधिकारी का कहना है कि काम स्मार्ट सिटी परियोजना का ठेकेदार कर रहा था। लिहाजा उन्हें नियमों के विपरीत काम करने का मामला दर्ज करना चाहिए। इन सबके बीच दून स्कूल प्रशासन भी इस मामले में बचते हुए सारा दोष प्रशासन पर मढ दे रहा है, जबकि उसके परिसर की भूमि पर अवैध रूप से मजार संरचना बनाई जा रही थी ऐसे में उसके द्वारा भी दोषियों के खिलाफ कानूनी कारवाई करनी चाहिए थी।
इन विभागों के आपसी झगड़ों के बीच आरोपी ठेकेदार चुप होकर नहीं बल्कि छुप कर तमाशा देख रहा है, जिसने राज्य की राजधानी के बीचों बीच विश्व विख्यात स्कूल में वो भी कैंट एरिया के पास अवैध मजार बनाने का दुस्साहस कर डाला। बहरहाल इस मामले में सभी को इंतजार इस बात का है कि आखिर इस मामले में शासन प्रशासन ने उक्त दुस्साहसी ठेकेदार के खिलाफ क्या कारवाई की।
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