विश्व

दीवाली पर मिठाई खाना इस्लाम में हराम, हिन्दू त्योहारों से बनाएं दूरी : मौलाना तारिक मसूद ने मुसलमानों को सुनाया फतवा

Published by
SHIVAM DIXIT

पाकिस्तान के प्रसिद्ध मौलाना मुफ्ती तारिक मसूद ने हाल ही में दीवाली और अन्य गैर-मुस्लिम त्योहारों को लेकर एक विवादित बयान दिया, जिसने भारत समेत कई देशों में बहस छेड़ दी है। मौलाना ने कहा कि मुसलमानों को गैर-मुस्लिम त्योहारों में शामिल नहीं होना चाहिए और दीवाली पर मिठाई खाना इस्लाम में पाबंदी के अंतर्गत आता है।

मुफ्ती मसूद के अनुसार, कुरान मुसलमानों को गैर-मुस्लिमों के त्योहारों में भाग लेने की अनुमति नहीं देता। उनका कहना है कि गैर-मुस्लिम त्योहारों में शामिल होना मुसलमानों की मजहबी पहचान को कमजोर करता है। उन्होंने इस्लाम के अनुसार मुसलमानों को केवल ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा जैसे त्योहारों को मनाने की सलाह दी।

गैर-मुस्लिम त्योहारों में भाग लेने पर पाबंदी

मुफ्ती मसूद ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने मुसलमानों को अपने मजहबी पहचान को बरकरार रखने की हिदायत दी है। उन्होंने तर्क दिया कि गैर-मुस्लिम त्योहारों में शामिल होकर मुसलमान अपनी मजहबी पहचान को खतरे में डालते हैं।मुफ्ती ने इस बात पर जोर दिया कि मुसलमानों को अपने त्योहारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और गैर-मुस्लिमों के त्योहारों से दूर रहना चाहिए।

भारत में प्रतिक्रिया : बयान पर उठे सवाल

मुफ्ती तारिक मसूद के इस बयान पर भारत में तीखी प्रतिक्रियाएँ आई हैं। भारत जैसे विविधता वाले देश में कई सामाजिक संगठनों और नेताओं ने उनके बयान की आलोचना की। सामाजिक संगठनों ने इसे सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला बयान बताया और कहा कि इस तरह के विचार लोगों के बीच दूरियाँ पैदा करते हैं।

सोशल मीडिया पर चल रही बहस

सोशल मीडिया पर भी मुफ्ती मसूद के इस बयान पर बहस छिड़ गई है। जहां इस्लामिक चरमपंथी विचारदार वाले लोग  लोग इस बयान को समर्थन दे रहे हैं, वहीं अन्य इसे अत्यधिक कट्टरपंथी सोच मान रहे हैं। मुफ्ती तारिक मसूद का यह बयान केवल धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं को रेखांकित करता है। लेकिन यह भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष और विविधतापूर्ण देश में सद्भाव के सिद्धांतों को चुनौती देता है। ऐसे बयान समाज में विवाद और विभाजन पैदा कर सकते हैं, जिसकी निंदा आवश्यक है।

Share
Leave a Comment