उत्तराखंड

उत्तराखंड : सरसंघचालक जी ने ‘शेर सिंह कार्की सरस्वती विहार’ भवन सीमांत जनता को किया समर्पित

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दिनेश मानसेरा

मुआनी, सीमांत पिथौरागढ़ जिले में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने शेर सिंह कार्की सरस्वती विहार विद्यालय के नव निर्मित भवन को आज क्षेत्र की जनता को समर्पित किया। इस लोकार्पण कार्यक्रम के अवसर पर सरसंघचालक जी ने एक चंदन का पौधा रोपण कर पर्यावरण का संदेश भी दिया। इस अवसर पर सीमांत जनजाति समुदाय ने सरसंघचालक जी का परम्परागत रीति रिवाज से स्वागत किया।

सरसंघचालक जी का विद्यालय परिसर में पूर्व राज्यपाल पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोशियारी, विद्यालय प्रबंधन की ओर से श्याम जी अग्रवाल ने स्वागत किया। सरसंघचालक जी ने परिसर में चंदन का पौधा रोपित कर हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
इस मौके पर श्री कोश्यारी ने कहा सरसंघचालक जी ने इस सीमांत क्षेत्र में आकर स्थानीय जनता के अनुरोध आग्रह को स्वीकार कर हमे कृतार्थ किया।  उन्होंने कहा कि ये नव निर्मित विद्यालय परिसर इस दूरस्थ क्षेत्र में भारतीय संस्कृति की शिक्षा देने के लिए वचन बद्ध है और ये भविष्य में छात्रावास विद्यालय का रूप लेगा।

व्यवस्थापक श्याम अग्रवाल ने कहा कि हमारी भविष्य की योजना, भारतीय संस्कारों और नई शिक्षा नीति को अंगीकार करते हुए एक विश्व विद्यालय स्थापित करने की है।

अध्यक्षीय भाषण में वीसी उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी ओम प्रकाश सिंह नेगी ने सभी का आभार प्रकट किया। अनंत मुकेश अंबानी सभागार में पहुंचे सरसंघचालक जी ने अपने संबोधन में देवभूमि उत्तराखंड को नमन करते हुए कहा कि यहां देव लोग रहते है, पवित्र कार्य में हम सब भागीदार हो रहे। उन्होंने हम सबका सपना है कि देश अच्छा हो,लोग सुखी हों, इस के लिए सबका प्रयास जरूरी है।
आरएसएस प्रमुख ने ‘विद्या भारती’ शिक्षा पद्धति अपनाने का समर्थन किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक जी ने कहा है कि स्कूली शिक्षा केवल उन्हीं के लिए लाभदायक है जो इसका उपयोग करना जानते हैं, और यदि कोई व्यक्ति इसका उपयोग करना नहीं जानता तो उसे इससे कोई विशेष लाभ नहीं होता।

सरसंघचालक जी ने कहा, “ऐसे कई महान व्यक्तियों के उदाहरण हैं जिन्होंने स्कूली शिक्षा न मिलने के बावजूद समाज को महान दिशा दी है।” उन्होंने कहा कि सभी को शिक्षा के ‘विद्या भारती’ एजेंडे को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति को न केवल अपने और अपने परिवार बल्कि पूरे समाज की देखभाल करने के लिए शिक्षा मिलती है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि यह ‘संस्कार’ है और शिक्षा के मूल्य को समझना ही समाज को ताकत देता है। उन्होंने कहा, “समाज महान और सर्वोपरि है।”

सरसंघचालक जी ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा को सीखना और उसका उपयोग आम लोगों की भलाई के लिए करना चाहिए। “इतिहास में कई महान व्यक्तियों ने ऐसे लोगों को रास्ता दिखाया है जो वंचित होने के बावजूद उच्च शिक्षित थे।उन्होंने कहा, “इतिहास में कई महान व्यक्तियों ने स्कूली शिक्षा से वंचित रहने के बावजूद उच्च शिक्षित लोगों को रास्ता दिखाया है।”

उन्होंने ने कहा, “दुनिया में कोई भी सरकार युवाओं को केवल 10 प्रतिशत नौकरियां ही दे सकती है, बाकी नौकरियां और व्यवसाय समाज की ताकत और सीखे गए कौशल के प्रयोग से पैदा किए जा सकते हैं।”

सरसंघचालक जी ने कहा कि हमारा देश अतीत में समृद्ध रहा है और हमारे समाज की ताकत से भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। आरएसएस प्रमुख ने कहा, यह समाज ही है जो हमें उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना सिखाता है। उत्तराखंड ‘तपोभूमि’ है क्योंकि यहां हजारों लोग रहते हैं। दुनिया में कोई भी सरकार युवाओं को केवल 10 प्रतिशत नौकरियां ही दे सकती है, बाकी नौकरियां और व्यवसाय समाज की ताकत और सीखे गए कौशल के प्रयोग से पैदा किए जा सकते हैं। हमारा राष्ट्र अतीत में समृद्ध रहा है और हमारे समाज की ताकत से भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। आरएसएस प्रमुख ने कहा, “यह समाज ही है जो हमें उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना सिखाता है।

सरसंघचालक जी ने कहा, “उत्तराखंड एक तपोभूमि है, जहां हजारों ऋषिगण वर्ष भर तपस्या करते हैं, लेकिन उनकी तपस्या का फल सदैव उनके आसपास रहने वाले अन्य लोगों को ज्ञान प्रदान करता है।”

इस अवसर पर क्षेत्र प्रचारक महेंद्र जी, प्रांत प्रचारक डा शैलेंद्र, प्रांत कार्यवाह दिनेश सेमवाल, प्रांत प्रचार प्रमुख संजय जी, केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधायक बिशन सिंह चुफाल, सुरेश गढ़िया, सुरेश सुयाल रणजीत सिंह ज्याला आदि मौजूद रहे।

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