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जॉब क्राइसिस, बेरोजगार और खालिस्तानी ही कहीं जस्टिन ट्रूडो के लिए बन ना जाएं संकट, एक क्लिक में समझिए

Published by
आरपी सिंह

Canada News: भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में तनाव चल रहा है. कनाडा लगातार भारत पर अपने देश में साजिश करने का आरोप लगता रहा है. एक वक्त में पीएम मोदी और जस्टिन ट्रूडो के बीच दोस्ती अच्छी मानी जा रही थी. मगर, हाल के दिनों में इस रिश्ते में दरार आ गई है. जस्टिन ट्रूडो कनाडा में होने वाले चुनाव को लेकर अपने वहां के सिख वोटर्स को लुभाने के लिए भारत पर कई तरह के आरोप लगाते हैं. इन सबके बीच बढ़ रही बेरोजगारी, क्राइम और कनाडा में एक बड़ी आबादी के सामने भोजन-पानी की विकट समस्या खड़ी हो रही है. वह इसको नजरअंदाज करते दिख रहे हैं. आइए इस ऑर्टिकल में जानने की कोशिश करते हैं कि ट्रूडो क्यों केवल भारत का विरोध कर रहे हैं? देश में जॉब क्राइसिस, बेरोजगार ये सब क्राइम बढ़ रहा है. वे कनाडा को इन सबसे उबार नहीं पाए और खालिस्तानी ही उनके लिए कहीं संकट न बन जाएं.

जॉब क्राइसिस से बढ़ रहे बेरोजगार

कनाडा के मौजूदा वक्त में जॉब की बड़ी समस्या सामने आ रही है. इसमें कई तरह के रुझान देखने को मिल रहे हैं. अक्टूबर 2024 तक बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी पर स्थिर बनी हुई है, लेकिन कुल भागीदारी दर गिरकर 64.8 फीसदी हो गई है, जो 1997 के बाद सबसे कम है. हालांकि, 61 फीसदी से अधिक कनाडाई कर्मचारी अपनी जॉब से संतुष्टि की रिपोर्ट कर रहे हैं.

खालिस्तानी आंदोलन जॉब या क्राइम को करता है प्रभावित?

क्षेत्रीय रूप से सस्केचेवान ने 2024 के दौरान राष्ट्रीय औसत से कम बेरोजगारी दर दर्ज की है जबकि अल्बर्टा और न्यू ब्रंसविक में नौकरियों में वृद्धि देखी गई है. आव्रजन के संबंध में नए लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें कम रोजगार की उच्च दर और वित्तीय तनाव शामिल हैं. इसे संबोधित करने के लिए कनाडाई सरकार ने फ्रैंकोफोन मोबिलिटी प्रोग्राम और ग्लोबल टैलेंट स्ट्रीम जैसे कार्यक्रम लागू किए हैं. यह ध्यान देने बात ये है कि जस्टिन ट्रूडो का नेतृत्व या खालिस्तानी आंदोलन कनाडा के जॉब या क्राइम में कैसे प्रभावित करता है.

जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तानियों से लगाव

अब समझते हैं कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तानियों से लगाव कैसा है. जस्टिन ट्रूडो का इंडिया के दुश्मनों से कितना प्यार करते है ये तो जग जाहिर है. जस्टिन ट्रूडो ने अपने कार्यकाल में कनाडा को खालिस्तानियों के लिए जन्नत बना दी है.ट्रूडो की सोच इस बात से पता चलती है कि वह चाहते हैं कि खालिस्तानी कनाडा में बैठकर भारत के अंदर क्राइम करते रहें. साथ ही भारत इस पर कुछ ना करे. इसको इस तरह से समझिए, जब भारत सरकार की अपील पर भी ट्रूडो की सरकार ने कभी कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया.

भारत की अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण की मांग

इस बीच भारत ने खालिस्तानी आतंकी अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण की आधिकारिक अपील कनाडा से की है. यहां ये जान लेना बेहद जरूरी है कि कनाडा पुलिस ने डल्ला को एक आपराधिक वारदात के आरोप गिरफ्तार किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 10 नवंबर को अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हुई. अब ओंटोरियो कोर्ट में डल्ला के केस की सुनवाई की जाएगी. भारत सरकार ने कहा है कि जुलाई 2023 से ही भारत सरकार कनाडा सरकार से डल्ला को गिरफ्तार करने की अपील कर रही थी. कनाडा सरकार ने इस अपील को अस्वीकार कर दिया था. अब एक बार फिर भारत सरकार कनाडा सरकार से डल्ला को भारत को सौंपने का अनुरोध करता है.

खालिस्तानी ही ना बन जाए ट्रूडो की मुसीबत

कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जिस तरह से खालिस्तानियों के समर्थन में खड़े रहते हैं और खालिस्तानी जिस तरह से भारत के खिलाफ साजिश करते हैं. इससे लगता है कि खालिस्तानी कभी भी ट्रूडो के लिए भी संकट बन सकते हैं. इसकी बानगी भी देखने को मिल गई है, क्योंकि खालिस्तान समर्थकों ने कनाडावासियों को आक्रमणकारी करार देते हुए उनसे इंग्लैंड और यूरोप वापस चले जाने को कहा.

क्या कनाडाई के लिए संकट बने खालिस्तानी?

दरअसल, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है, इसमें जुलूस में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि यह कनाडा है, हमारा अपना देश. आप (कनाडाई) वापस चले जाएं. कुछ रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी धीरे-धीरे कनाडा के सभी पहलुओं पर कब्जा कर रहे हैं. ये लोग स्थानीय कनाडाई लोगों से भी नियंत्रण छीन रहे हैं. हिंदुओं से सुरक्षा के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं और अब उनकी कॉलोनियों में स्थानीय लोगों के लिए खतरा है.

ध्यान दीजिए कि पिछले साल हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध खराब हो गए थे. हरदीप सिंह निज्जर एक खालिस्तानी समर्थक था, जिसे भारत ने आतंकवादी करार दिया था. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि कनाडा की पुलिस जून 2023 की हत्या में भारतीय एजेंटों के साथ भारत सरकार की संलिप्तता के आरोपों की जांच कर रही है, जिसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था.

इस बीच भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ट्रूडो अगले साल के चुनाव में सांसद जगमीत सिंह का समर्थन सुनिश्चित करने के लिए खालिस्तानी समूहों का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि ट्रूडो की लोकप्रियता रैंकिंग में गिरावट आई है. वह अपनी सरकार को एकजुट रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. खासकर तब जब उन्होंने स्वीकार किया कि भारत के खिलाफ उनके आरोप केवल खुफिया इनपुट थे. उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था.

ट्रूडो का भारत पर आरोप और अब खालिस्तानियों का ये वीडियो बताने के लिए काफी है कि वह बिना यह समझे कि वे कैसे खालिस्तानियों के हाथों में खेल रहे हैं. ये आरोप द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उनकी व्यक्तिगत छवि को खराब कर रहे हैं. यही उनके लिए मुसीबत भी बन सकते हैं.

भोजन और पानी का संकट

कनाडा में भोजन और पानी का संकट एक बड़ी आबादी के सामने आ सकता है. यही वजह है कि फूड बैंकों में भीड़ बढ़ रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार, टोरंटो के फूड बैंकों की मांग पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ती जा रही है. यहां सबसे अहम ये बात हो जाती है कि टोरंटो जैसे शहर में 10 प्रतिशत से अधिक लोग पेट भरने के लिए फूड बैंकों पर निर्भर हैं. यह 2023 की तुलना में 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. फूड बैंक्स कनाडा की एक रिपोर्ट से मालूम चलता है कि कनाडा में आने वाले नए लोग पहले से कहीं अधिक फूड बैंकों पर निर्भर हैं.

कनाडा में लगातार बढ़ रही भोजन-पानी की समस्या चिंता बढ़ाने वाली है. वहीं, लगातार बढ़ रही देश में बेरोजगारी जस्टिन ट्रूडो के लिए खतरे की घंटी बजा रही है, क्योंकि कनाडा जैसे अपेक्षाकृत समृद्ध देश से इस तरह की रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है. अब सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री ट्रूडो कनाडा को इन सब संकटों से ऊबार पाएंगे? या भारत पर आरोप लगाकर चुनाव जितने की फिराक में हैं?

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