महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों का असली चाल और चरित्र सामने आता जा रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हुए एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का महाविकास आघाड़ी के लिए खुलेआम समर्थन जारी कर दिया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी के अनुसार, 269 सीटों पर महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवारों और 16 अन्य सीटों पर अन्य दलों को समर्थन की बात कही गई है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जिन उम्मीदवारों का समर्थन किया है उनमें 170 मराठा और ओबीसी, 40 अन्य समुदाय, एससी/एसटी के 53 और 23 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं। समर्थन वाले दलों में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी शामिल हैं। साथ ही, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा सभी नागरिकों से शत प्रतिशत मतदान की अपील का भी असर पड़ेगा। मुस्लिम पहले से ही अधिकतम मतदान करते हैं वहीं हिंदुओं के लिए यह एक चेतावनी या राह बताने वाली उक्ति है। विगत महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 61.44% था। अगर इस चुनाव में इससे अधिक हुआ तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस समर्थन का प्रतिकार हिंदुओं ने किया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस कदम का प्रत्युत्तर भी मिलना शुरू हो गया है और जैन समाज द्वारा पहली बार बिना लाग-लपेट के भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली महायुति को समर्थन देने की घोषणा की गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अनेक बार पार्टियों को समर्थन दिया है, मगर वे भी स्पष्ट तौर पर कांग्रेस को समर्थन देने से अपने को बचाते रहे हैं।
मगर यह तथ्य भी विचारणीय है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐसा क्यों किया है। इसका मुख्य कारण योगी आदित्यनाथ के “बटेंगे तो कटेंगे” वाले नारे का पूरा चुनावी परिदृश्य बदलना है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह समर्थन इसी की काट के तौर पर लाया गया कदम है।
जैन समाज की तरह का ही एक नया समर्थन भाजपा और एनडीए के लिए झारखंड से आया है, जहां यादवों के एक बड़े संघ ने भाजपा और एनडीए को समर्थन किया है। यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इंडि गठबंधन में लालू यादव की पार्टी भी शामिल है। यद्यपि दो सीटों पर कांग्रेस और राजद का दोस्ताना संघर्ष भी हो रहा है। भाजपा ने यादवों को पूरा सम्मान दिया है और मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है। अब यादवों का भाजपा के प्रति सकारात्मक रुख सामने आने लगा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का महाविकास आघाड़ी को यह समर्थन महाराष्ट्र चुनाव को ध्रुवीकृत करता जा रहा है। साथ ही, नोमानी की यह घोषणा कि 16 सीटों पर वे अन्य उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे, इसका निहितार्थ यह भी है कि इन सीटों पर वे कांग्रेस पार्टी या महाविकास आघाड़ी से दूरी बनाए रखेंगे। इससे कांग्रेस पार्टी को इन सीटों पर चुनाव जीतने में और भी मुश्किलें हो सकती हैं।
ऐसे राजनीतिक तौर पर मुसलमानों को उन राज्यों में नुकसान उठाना पड़ता है जहां भाजपा नीत गठबंधन और कांग्रेस नीत गठबंधनों में आमने-सामने की टक्कर होती है, जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड और अन्य कई राज्य। कांग्रेस पार्टी को पता है कि इन राज्यों में मुस्लिमों के पास कांग्रेस के अलावा कोई विकल्प नहीं है और वह इसका फायदा उठाती है।
वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में जहां कांग्रेस पार्टी का भाजपा के अलावा अन्य दलों से मुकाबला होता है, वहां मुस्लिमों को इसका लाभ मिलता है और उन्हें बड़ी संख्या में उम्मीदवारी और अन्य लाभ भी मिलते हैं। अब ध्रुवीकरण देखकर कांग्रेस पार्टी भी अंदर ही अंदर परेशान है, लेकिन उसकी मुश्किल है कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन को नकार भी नहीं सकती। नकारने की स्थिति में कांग्रेस पार्टी को अधिक नुकसान हो सकता है।
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