उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहां टैटू बनवाने के कारण 68 महिलाएं HIV संक्रमित हो गई। इन सभी महिलाओं ने सड़क के किनारे अपने शरीर पर टैटू बनवाए थे। लेकिन, शादी और गर्भावस्था के दौरान जब ये अपनी जांच कराने के लिए पहुंची तो ये एड्स से पीड़ित निकलीं। ये सुनते ही इनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, एचआईवी संक्रमण का ये डाटा केवल गाजियाबाद जिला अस्पताल का है। इसके अलावा बहुत से ऐसे लोग हैं, जो निजी अस्पतालों में भी अपना इलाज कराते हैं। 20 महिलाओं ने बताया कि टैटू बनवाने के बाद से ही इनकी तबीयत बिगड़नी शुरू हुई थी। महिलाओं के एचआईवी संक्रमित निकलने पर जिला अस्पताल की एचआईवी काउंसलर उमा सिंह बताती हैं कि 15-20 महिलाएं हर साल इस बीमारी से संक्रमित हो रही हैं। इसी काउंसलिंग के दौरान हमें इस बात का पता चला कि बीते चार साल में 68 महिलाओं को एड्स हो गया है।
एड्स पीड़ित इन महिलाओं में 20 ऐसी हैं, जिन्होंने सड़कों के किनारे टैटू बनवाए थे। हालांकि, डॉक्टरों ने सभी का सुरक्षित प्रसव कराने में सफलता हासिल की। लेकिन, इसी के साथ एक सवाल यह भी उठ खड़ा हुआ है कि ऐसे क्या कारण हैं कि टैटू बनवाने के कारण एड्स हो रहा है।
महिलाओं के एचआईवी संक्रमित निकलने के बाद एक सवाल खड़ा हुआ कि क्या टैटू बनवाने के कारण एड्स फैलता है? इस सवाल का जबाव है नहीं। टैटू बनवाने में संक्रमण का खतरा मात्र 0.3 प्रतिशत ही होता है। इसीलिए संक्रमण से बचने के लिए सुरक्षित तरीके से प्रत्येक टैटू के लिए नई निडिल का इस्तेमाल होना चाहिए। यह कहना है गाजियाबाद जिला अस्पताल की पैथोलॉजिस्ट डॉ शैफाली अग्रवाल का। शैफाली बताती हैं कि टैटू बनवाने से HIV संक्रमण का खतरा तभी हो सकता है, जब किसी संक्रमित व्यक्ति का टैटू बनाने के बाद नई निडिल का इस्तेमाल नहीं हो। इसीलिए टैटू बनवाते समय यह ध्यान रखने की जरूरत है कि यह स्टरलाइज्ड है या नहीं।
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