विदेशों से चंदे लेकर भारत के खिलाफ षणयंत्र रचने वाले एनजीओ की अब खैर नहीं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसे सभी एनजीओ के खिलाफ शिकंजा कसने तैयारी शुरू कर दी है, जो कि विदेशों से पैसे लेकर भारत कन्वर्जन, देश विरोधी गतिविधियों और आतंकियों के साथ संबंध रखते हैं और अपने वार्षिक रिटर्न भी फाइल नहीं करते हैं। इस मामले में सरकार ने एक नोटिस जारी की है, जिसके तहत इस तरह के सभी एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द कर दिया जाएगा।
सरकार के द्वारा जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि अगर कोई भी एनजीओ अपनी स्थापना के लक्ष्य और अपने उद्येश्यों के बाहर जाकर विदेशों से मिले चंदे का बेजा इस्तेमा करता है तो उसका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं उन गैर सरकारी संगठनों का भी एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया जाएगा, जो बन तो गए हैं, लेकिन पिछले दो से तीन सालों के दौरान पूरी तरह से निष्क्रिय रहे हैं। या फिर इन्होंने सामाजिक कल्याण जैसे कोई कार्य नहीं किए हैं और स्पष्टीकरण मांगने के बाद भी कोई जबाव नहीं दे रहे हैं।
मंत्रालय के नोटिस के मुताबिक, किसी एनजीओ को स्पष्टीकरण देने का मौका दिया गया हो और उसने अपने संगठन से संबंधित दस्तावेजों को अगर मुहैया नहीं कराया, देश के विकास विरोधी गतिविधियां जैसे कि विरोध प्रदर्शन, या फिर आतंकी संगठनों के साथ साठगांठ रखते हैं तो इन सभी के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द करके इन सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है एफसीआरए
गौरतलब है कि FCRA यानी फ़ॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट एक कानून है, जिसका मकसद भारत में विदेशों से आने वाले चंदे पर नजर रखना और उन्हें नियंत्रित करना है। विदेशों से चंदा प्राप्त करने की चाहत रखने वाले गैर सरकारी संगठनों को FCRA एक्ट के तहत अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। अहम बात ये है कि एफसीआरए को किसी भी तरह की अवैध फंडिंग मिलती है तो उसे अधिकार होता है कि वो अमुक्त संस्था का रजिस्ट्रेशन रद्द करके उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
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