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भारतीय वकील की याचिका से बढ़ी ट्रूडो की टेंशन : कनाडा के CJI से की मंदिर हमले में जांच की मांग, याचिका में SFJ का जिक्र

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WEB DESK

नई दिल्ली । भारतीय सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने हाल ही में कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर हुए हमले और उसमें शामिल खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई में असफल रहने पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की आलोचना करते हुए कनाडाई सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। यह याचिका कनाडा के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रिचर्ड वैगनर के समक्ष डिजिटल माध्यम से शनिवार को दायर की गई। इसमें हिंदू सभा मंदिर और वहां मौजूद भक्तों पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

याचिका में मुख्य बिंदु

इस याचिका में, जिंदल ने कनाडा के सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वे पील पुलिस के अधिकारियों के इस मामले में भूमिका की जांच करें और खालिस्तान समर्थक समूहों जैसे “सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ) के गतिविधियों की भी जांच करें। इन समूहों पर हिंसा भड़काने का आरोप है। याचिका का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और कनाडा में हिंदू समुदाय के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। जिंदल ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू समुदाय के धार्मिक स्थलों पर लगातार बढ़ रहे हमलों से धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा है और इसमें तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

कनाडा में विनीत जिंदल द्वारा दायर की गई याचिका

याचिका का उद्देश्य 

अपने याचिका दायर करने के कारणों को साझा करते हुए विनीत जिंदल ने कहा-   “यह सभी को पता है कि वर्तमान जस्टिन ट्रूडो सरकार हमारी भारतीय सरकार के अनुरोधों के बावजूद खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रही है। 3 नवंबर को ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर और वहां के भक्तों पर खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा हमला किया गया था। यहां तक कि पुलिस के अधिकारियों ने भी इस घटना के दौरान हिंदू भक्तों के साथ दुर्व्यवहार किया। तब से लेकर अब तक कनाडा में हिंदू समुदाय हर मोर्चे पर—राजनीतिक और प्रशासनिक—हमलों का सामना कर रहा है। हमारे हिंदू भाई इस समय वहां अत्यधिक संकट में हैं। खालिस्तानी आतंकवादी संगठन जैसे “खालिस्तान टाइगर फोर्स” और “सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ) ट्रूडो सरकार के कथित समर्थन के साथ वहां के युवाओं को हिंसा और नफरत के झूठे मामलों में फंसा रहे हैं। मैंने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि कनाडा के सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से यह संदेश दिया जा सके कि वहां रहने वाले प्रत्येक हिंदू की जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए।” जिंदल ने कनाडा की न्यायिक प्रणाली पर भरोसा जताया और उम्मीद व्यक्त की कि उनकी याचिका स्वीकार की जाएगी और हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।

घटनाक्रम की पृष्ठभूमि

ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर हुए हमले ने न केवल कनाडा में बल्कि भारत में भी नाराजगी पैदा की है। इस हमले के पीछे खालिस्तानी अलगाववादी समूहों का हाथ होने का आरोप लगाया गया है। खालिस्तान समर्थक समूहों, विशेष रूप से “सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ), पर हिंसा और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप है। भारत सरकार भी लगातार इस मुद्दे को उठा रही है और ट्रूडो सरकार पर आरोप लगा रही है कि वह ऐसे आतंकवादी समूहों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठा रही है।

बरहाल विनीत जिंदल द्वारा दायर इस याचिका ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उजागर किया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कनाडा की न्यायपालिका इस याचिका पर क्या कदम उठाती है और क्या खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी। इस याचिका का उद्देश्य कनाडा में हिंदू समुदाय की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना है।

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