हाल ही में कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हुए हमलों के खिलाफ भारतीय सिख और हिंदू समुदाय ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित कनाडाई दूतावास के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हिंदू सिख ग्लोबल फोरम के सदस्यों ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसमें सिख और हिंदू समुदाय के लोग एकजुट होकर शामिल हुए। इस प्रदर्शन के चलते दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया और दूतावास के आस-पास कड़े इंतजाम किए।
हिंदू सिख ग्लोबल फोरम के अध्यक्ष तरविंदर सिंह मारवाह ने कहा कि कनाडा में मंदिरों पर हो रहे हमले धार्मिक असहिष्णुता और चरमपंथ का प्रतीक हैं। उन्होंने कनाडा सरकार से अपील की कि वह इन घटनाओं पर कठोर कार्रवाई करे और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा, “आतंकवाद में एक पूरी पीढ़ी नष्ट हो गई, अब हमारी युवा पीढ़ी को नशीले पदार्थों में झोंका जा रहा है और जबरन धर्म परिवर्तन की कोशिशें हो रही हैं। इसके बाद अब मंदिरों पर हमले शुरू हुए हैं, जो किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हैं।”
मारवाह ने यह स्पष्ट किया कि सिख समुदाय खालिस्तानी विचारधारा का समर्थन नहीं करता और इस तरह के विभाजनकारी विचारों से सिख धर्म का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, “एक सच्चा सिख कभी खालिस्तानी नहीं बन सकता। हम तिरंगे का सम्मान करते हैं और भारत से अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।”
दिल्ली पुलिस का बयान
प्रदर्शन को देखते हुए कनाडाई उच्चायोग के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए इलाके में बैरिकेडिंग की और यह सुनिश्चित किया कि कानून-व्यवस्था न बिगड़े। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और किसी को भी कानून-व्यवस्था भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
हाल के महीनों में कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हुई हिंसक घटनाओं, विशेषकर 4 नवंबर को ब्रैम्पटन के एक मंदिर में हुए हमले के बाद भारतीय समुदाय में असंतोष बढ़ा है।
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