इब्न बतूता पर किस्से और कहानियां खूब लिखी गई हैं। मगर क्या इस बहाने इब्नबतूता की उस असलियत को पूरी तरह से छिपा लिया गया है, जो उसने खुद ही लिखी थी। वह एक कट्टर मुस्लिम था और उसी नाते वह यात्रा पर निकला था। मोरक्को का मुसाफिर इब्न बतूता भारत 1334 में आया था। उस समय दिल्ली पर मोहम्मद बिन तुगलक गद्दी पर बैठा था।
इब्न बतूता की कथित रोमांचक यात्राओं की कहानी बताती हुई कई किताबें हैं, मगर उसकी अय्याशियों और औरतों के प्रति हवस की कहानियां बहुत कम हैं और तथ्यों को सामने लाया नहीं गया है। मोरक्को से चलने वाला इब्न बतूता भारत आने तक कई महिलाओं को सेक्स-स्लेव बना चुका था और असंख्य शादियां कर चुका था। Concubines and Courtesans – Women and Slavery in Islamic History नामक पुस्तक में इब्न बतूता की इस अय्याशी को बताया गया है।
Concubines on the Road: Ibn Battuta’s Sla72ve Women में Marina A. Tolmacheva ने उन महिलाओं के विषय में लिखा है, जिनके विषय में भारत में वे लोग एकदम चुप्पी साधे बैठे रहते हैं, जो इब्न बतूता के जूते पर बाल कविताएं लिखते हैं। बच्चों के दिमाग में उसे हीरो बनाते हैं, उसका चेहरा कुछ और है। वर्ष 1325 में वह अपने मुल्क से हज करने के लिए निकला था। उसके बाद उसने तमाम देशों की यात्रा की।
दोस्तों की बेटियों से शादी की
इस पुस्तक में लिखा है कि उसने अपने दोस्तों और सहकर्मियों की बेटियों के साथ शादी की और उन्हें तलाक दिया। उसने अपने अधीन काम करने वालों के संरक्षण में महिला नातेदारों से शादी की और तलाक दिया। ऐसी महिलाएं उसके साथ उसके सफर पर नहीं जाती थीं और वह उन सेक्स- स्लेव्स के साथ सफर करता था, जिन्हें उसने या तो खरीदा होता था या फिर उसे जो तोहफे में मिली होती थीं।
इसमें लिखा है कि हमें शायद ही उन महिलाओं के नाम पता हों। ली गुओ के अनुमान के अनुसार इब्न बतूता ने तीस साल की अवधि में दुनिया भर में घूमने के दौरान बीस से ज्यादा महिलाओं से शादी की और तलाक लिया, सत्तर बच्चों का पिता बना और अंततः उसे छोड़ दिया। लेकिन, इब्न बतूता के खाते में इन महिलाओं और बच्चों के बारे में बहुत कम जानकारी है, जिनमें से ज़्यादातर के नाम नहीं हैं।
कई सेक्स स्लेव ईसाई भी थीं
रौक्सैन यूबेन के हवाले से लिखा गया है कि जैसे-जैसे उसके सफर के दौरान उसका कद बढ़ता गया, उसने कई पुरुष और महिला दास हासिल किए जो अक्सर उसके साथ यात्रा करते थे, साथ ही कई पत्नियां भी (रिहला में दस का उल्लेख है, लेकिन संभवतः ज़्यादा भी रही होंगी), और उसने अज्ञात संख्या में बच्चों को जन्म दिया (पांच का उल्लेख है, लेकिन संभवतः ज़्यादा भी रहे होंगे)। यह अनुमान लगाया जाता है कि इब्न बतूता ने मार्को पोलो की तुलना में तीन गुना सफर किया था और वह लगभग 44 तत्कालीन देशों में गया था। उसकी कई सेक्स स्लेव ईसाई भी थीं। जब वह दिल्ली आया था तो मोहम्मद बिन तुगलक ने उसे काजी बनाया था। उसने दिल्ली में भी कई शादियां की थीं। भारत से जब वह चीन जा रहा था तो उसका एक जहाज जावा पहुंच गया था, जिसमें उसकी दासी लड़कियां थीं। उसमें उसकी प्रिय रखैल भी थी, जो गर्भवती थी। मगर वह मर गई थी और जावा के शासक ने शेष लासी लड़कियों को अपने कब्जे में ले लिया था।
कौन रही होंगी ये लड़कियां
जब पूरा वृत्तान्त पढ़ते हैं, तो महिलाओं को लेकर एक अजीब पीड़ा से मन भर जाता है। कौन रही होंगी ये लड़कियां? ये महिलाएं? जो बच्चे पैदा करते समय मर जाती थीं, जिन्हें सामानों की तरह बेचा जाता था। उनका काम केवल अपने मालिकों को खुश करना होता था। अपने देश से दूर उन्हें जहाजों पर भेज दिया जाता था, जहां पर उनके जीवन का कोई ठिकाना नहीं था। जब इब्न बतूता मालदीव गया तो उसने वहाँ पर भी शादियां कीं। डेढ़ साल तक वह वहां रुका था। वहां पर उसने चार शादियां कीं थीं। इस पुस्तक में लिखा है कि हमें यह पता चलता है कि यहां पर इब्न बतूता की शादियां बड़े परिवारों में नहीं हो पाई थीं, क्योंकि इब्नबतूता को रखैलों का साथ ज्यादा पसंद था। इसमें इब्न बतूता की किताब के हवाले से भी लिखा है कि कैसे उसे एशियाई लड़कियां पसंद थीं। एक मराठी लड़की “गुल-इ-स्तान” का उल्लेख है। उसने लिखा है कि उसके पास मालदीव में वजीर ने एक लड़की भेजी और कहलवाया कि अगर यह पसंद आती है तो ठीक, नहीं तो मैं एक और लड़की भेजूंगा, जो मराठी होगी। फिर इब्न बतूता लिखता है कि उसे मराठी लड़कियां पसंद हैं।
भारत में किया गया महिमा मंडित
इस अध्याय में इब्न बतूता की अय्याशियों की कहानियां हैं। वे तथ्य हैं, जिन्हें जान-बूझकर भारत में अनदेखा कर दिया जाता है। भारत में ऐसे अय्याश और महिला विरोधी लोगों को महिमा मंडित किया जाता है कि वह एक महान मुसाफिर था। मुसाफिर तो सफर करते हैं, मगर ये कैसा सफर जिसमें असंख्य लड़कियों का जीवन बर्बाद किया गया? और भारत में फिल्मों में और यहां तक कि बाल-कविताओं में उसे हीरो बनाया गया?
700 साल पहले मंदिर में पहचान छिपाकर रहने वाला मुस्लिम जोगी और इब्न बतूता
“इब्नबतूता का जूता” कहकर नायक बनाने वाले उसकी असलियत छिपा गए ?
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