उत्तर प्रदेश के शहारनपुर जिला स्थित मदरसा दारुल उलूम देवबंद वैसे तो इस्लामी शिक्षा का एक बड़ा केंद्र है, लेकिन ये मदरसा मुस्लिम कट्टरपंथ के लिए भी कुख्यात रहा है। इस मदरसे के अंदर अब तक मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश को बैन किया गया था, लेकिन अब मदरसा प्रशासन से हिजाब की अनिवार्यता के साथ महिलाओं को मदरसे में प्रवेश की अनुमति दे दी है। यानि कि अगर आपको मदरसे में जाना है तो मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनना ही होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामी शिक्षण संस्थान की ओर से शुक्रवार को ही इस मामले को लेकर एक बयान जारी किया जा चुका है। दारुल उलूम देवबंद की ओर से जारी किए गए नए नियमों के अनुसार, मुस्लिम महिलाओं को मदरसे में प्रवेश तभी करने दिया जाएगा, जब वो हिजाब पहनकर अपने किसी करीबी के साथ वहां आएंगी। इस्लामी संस्था के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी का कहना है कि दुनियाभर से लोग दारुल उलूम देवबंद में आते हैं, इसलिए महिलाओं को इसमें प्रवेश से रोकना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कई दौर की वार्ता के बाद इस प्रतिबंध को हटा दिया गया है।
प्रवेश के लिए कुछ नियम भी हैं, जिसमें दारुल उलूम ने विजिटर पास के लिए अधिकारी की नियुक्ति की है। इसके तहत वहां आने वाले महिला औऱ पुरुष दोनों को ही गेट पर अपने फोन निकालकर ही अंदर आना होगा। कैंपस के अंदर वीडियोग्राफी पर रोक होगी। इसके लिए मदरसे में आने के इच्छुकों को पास के लिए अपने साथ आधार, पैन या फिर वोटर कार्ड अधिकारी को दिखाना होगा। सबसे मुख्य बात महिलाएं केवल सूर्यास्त तक रह सकेंगी।
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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की ही शुरुआत में कुछ मुस्लिम महिलाओं ने दारुल उलूम देवबंद जाकर वहां पर रील्स बनाई थी। कैंपस के अंदर रील बनाने की घटना के सामने आने के बाद मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ये घटना 17 मई 2024 को हुई थी। कट्टरपंथी मौलानाओं ने महिलाओं पर आरोप लगाया कि वो पर्दा किए बिना ही मदरसे में आईं और संस्थान की इमारतों की वीडियो और फोटो लेकर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था।
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