देहरादून: देवों की भूमि माने जाते उत्तराखंड में सुदूर पहाड़ी नगरों में क्या एक व्यापक षड्यंत्र के तहत इस्लामिक धार्मिक स्थलों का विस्तार तो नहीं हो रहा ? ऐसा इसलिए कहा जा रहा कि जिस तरह से सैकड़ों मजारे बनाई गई उसी तरह से क्या मस्जिदों का भी विस्तार हो रहा है ?
हाल ही में उत्तरकाशी मस्जिद को लेकर एक विवाद शुरू हुआ है, ऐसा कहा जा रहा है कि ये अवैध रूप से बनाई गई है। बताया गया है कि पहले ये घर था जहां मुस्लिम लोग जुम्मे की नमाज के लिए एकत्र होते थे और धीरे-धीरे इसमें मस्जिद का रूप ले लिया। इस बारे में आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के अनुसार, इस भूमि के दस्तावेजों में हेर-फेर किए गए है, इसी वजह से वहां हिंदू संगठनों का आंदोलन हुआ और हालात बिगड़े और लाठीचार्ज हुआ, बाद में दो अधिकारी ट्रांसफर किए गए और सीएम पुष्कर सिंह धामी को मस्जिद के दस्तावेजों की पुनः जांच के आदेश दिए हैं।
दूसरी घटना बेरीनाग की है जहां एक घर में नमाज के लिए मुस्लिम एकत्र होते हैं और ये घर भी सरकारी भूमि पर बना हुआ है और ये घर बाहर से एक दरवाजा दिखता है अंदर इसके इबादत का कमरा बना दिया गया है। इस बारे में हिंदू संगठनों द्वारा एक वीडियो भी वायरल किया गया था। ऐसा ही एक और मामला सीमांत नगर धारचूला का भी है जहां पहले इनर लाइन थी और यहां जाने के लिए परमिट लेना पड़ता था, इनर लाइन हटाई, यहां पावर प्रोजेक्ट आए साथ में मुस्लिम लेबर आई और एक घर में नमाज शुरू हुई और फिर उसी मकान ने दो मंजिला फिर तीन मंजिला आकर लेना शुरू किया और मस्जिद बनती चली गई। अब इस मस्जिद को मुस्लिम दुकानदारों ने घेर रखा है और ये मस्जिद नाले के ऊपर विस्तार लेती गई।
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उत्तराखंड राज्य बनने के बाद देवभूमि में बड़ी संख्या में मस्जिदें बनी है। बताया गया है कि इनमें ज्यादातर सरकारी भूमि घेर कर बनाई गई है। देहरादून हरिद्वार जिले में सौ से अधिक संख्या ऐसे धार्मिक स्थलों की है, जिन्होंने सरकारी भूमि को घेर कर अपनी इमारत का विस्तार किया और फिर उसे वक्फ बोर्ड ने पंजीकृत करवा लिया। देहरादून, सेलाकोई, रामपुर मंडी विकास नगर, हरबर्टपुर आदि कई क्षेत्रों में यदि मस्जिदों के भूमि दस्तावेजों की जांच की जाए तो सच सामने आ जाएगा। कुछ ऐसे मामले भी जानकारी में आए है कि पहले सरकारी भूमि पर कब्जे कर मदरसे बने फिर उनमें नमाज होने लगी और बाद में ये मस्जिद का आकार लेनी लगी।
हल्द्वानी में बनभूलपुरा अतिक्रमण हटाने को लेकर जो बवाल हुआ उसके पीछे भी फर्जी मदरसा था, जो कि मलिक के बगीचे में नजूल की जमीन पर बनाया गया और उसे मस्जिद बता कर प्रचारित किया गया। बहरहाल उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार के सामने इस तरह के प्रकरण इसलिए भी सामने आ रहे है क्योंकि उनके पास भी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट आ रही है कि राज्य में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करके डेमोग्राफी चेंज हो रहा है और यहां इस्लामिक धार्मिक स्थल बन रहे हैं। राज्य जब बना उस समय वक्फ बोर्ड के गठन के वक्त 2105 संपत्तियां थी जो अब बढ़कर 5183 हो गई है। ये कैसे इजाफा हुआ ? इस पर उत्तर खोजना बाकी है।
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यही वजह थी कि सरकार ने अब तक करीब साढ़े पांच सौ फर्जी मजारें ध्वस्त करने में कोई देर नहीं लगाई, जबकि अभी और भी अवैध मजारे बाकी है, जिन्हें सरकार की भूमि पर कब्जे की नीयत से बनाया गया है। देखना अब ये है कि धामी सरकार इस चुनौती को कैसे लेती है? हालांकि, पुष्कर सिंह धामी कहते रहे हैं कि वे उत्तराखंड के देव स्वरूप को किसी भी सूरत में बदलने नहीं देंगे।
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