वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 लाए जाने के बाद से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वक्फ बोर्ड बुरी तरह से हिल गया है। कर्नाटक में तो वह लगातार संपत्तियों पर मनमाने तरीके से दावे करता जा रहा है। इसी क्रम में उसने अब बीदर जिले में स्थित ऐतिहासिक ‘बीदर किले’ पर भी अपना दावा ठोंक दिया है। वक्फ बोर्ड ने किले के अंदर 17 संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड की इस हरकत के बाद जिला प्रशासन का कहना है कि किले के अंदर जिन संपत्तियों को वक्फ ने अपना बताया है वो सभी किले के सबसे प्रमुख स्थलों में से एक हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि सभी प्रमुख स्मारकों की ही तरह ये किला भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के स्वामित्व के तहत आता है। लेकिन, वक्फ के इन दावों की जानकारी अभी तक एएसआई को है ही नहीं।
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खास बात ये है कि बीदर किले के अंदर जिन 17 संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है, उनमें प्रसिद्ध 16 -खंबा (सोलह स्तंभ) मस्जिद, विभिन्न बहमनी शासकों और उनके परिवार के सदस्यों की 14 कब्रें शामिल हैं, जिनमें अहमद शाह-IV, अहमद शाह की बीवी, अलाउद्दीन, हसन खान, मोहम्मद शाह-III, निजाम, सुल्तान अहमद शाह वली और सुल्तान महमूद शाह शामिल हैं।
द हिन्दू से बात करते हुए वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि वक्फ बोर्ड इस मामले में एएसआई को नोटिस नहीं जारी कर सकता है। वही तो दशकों से ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षक रहा है। वक्फ के अधिकारी ने बोर्ड को पीड़ित साबित करने की कोशिश में कहा कि बोर्ड के नाम पर बहुत सी शरारतें और गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं, जिससे मुस्लिमों का नाम खराब हो रहा है।
अधिकारी का कहना था कि वक्फ बोर्ड विवाद के शुरू होने के बाद से हमने लोगों को दिए गए नोटिस को वापस लेने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए कि जो लोग लंबे वक्त से उन संपत्तियों पर काबिज हैं, उन्हें बेदखल करना गलत होगा।
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गौरतलब है कि हाल में एक आरटीआई के जरिए पता चला था कि केवल कर्नाटक में ही कम से कम 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड अपना दावा कर रहा है। इन स्मारकों में कर्नाटक के प्रसिद्ध कलबुर्गी का किला, गोल गुम्बज, विजयपुरा का बड़ा कमान, बीदर का किला, इब्राहिम रौजा आदि हैं। कुल 53 स्मारकों में से 43 को तो 2005 में ही वक्फ बोर्ड ने क्लेम कर दिया था। उसका कहना था कि ये वक्फ की संपत्ति है। खास बात ये है कि उक्त सभी स्मारकों को भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के द्वारा संरक्षित किया गया है। बावजूद इसके खुद को मिली असीमित शक्तियों का बेजा इस्तेमाल करते हुए वक्फ बोर्ड इन सभी को अपना बता रहा है।
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