बिहार

छठ पूजा पर मजहबी उन्मादियों का आतंक : पूर्णिया में कट्टरपंथियों ने छठव्रतियों पर किया हमला, छठ घाट को भी किया तहस-नहस

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संजीव कुमार

पूर्णिया । प्रत्यक्ष देव सूर्य को समर्पित छठ पर्व पर भी जिहादियों ने हंगामा किया है। पूर्णिया के बायसी प्रखंड के हरिणतोड़ पंचायत अंतर्गत माली गांव में जिहादियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर लौट रहे छठव्रतियों पर 7 नवंबर को हमला किया। लगता है सोची समझी साजिश के तहत यह हमला किया गया था। जेहादियों ने घाट पर लगाए गए केले के पेड़ को तोड़ दिया पूजा सामग्री को इधर-उधर फेंक दिया और छठ घाट को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हमला करते हुए वे एक विशेष नारा भी लगा रहे थे। 8 नवंबर की सुबह जब छठव्रती घाट पर पहुंचे तो वहाँ के हालात देखकर रोने लगे।

वैसे तो घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी और आरक्षी निरीक्षक सदल बल घटनास्थल पर पहुँचकर जाँच शुरू कर दिया लेकिन अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन कार्रवाई करने से पीछे हट रहा है।

छठ लोक आस्था का महान पर्व है। इसमें किसी पंडित की आवश्यकता नहीं होती है। व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं। इस पर्व पर आम जन अपनी सहभागिता से सफाई और सारी व्यवस्थाएं करता है। जकन सहभागिता के कारण छठ पर्व में पूरा बिहार साफ एवं स्वच्छ दिखता है। इस पर्व में अपराध की घटनाएँ न्यूनतम होती है। इसमें आम और खास की दूरी समाप्त हो जाती है। बिहार के बाहर रहनेवाले लोग किसी भी कीमत पर घर आना चाहते हैं। एक प्रकार से यह बिहार का सबसे बड़ा पर्व है। इस पर्व पर आजतक ऐसी घटना कभी नहीं हुई।

पूर्णिया प्रमंडल के वरिष्ठ पत्रकार सुबोध कुमार साह इसे जिहादियों द्वारा हिन्दू मनोबल को हताश करने का षड्यंत्र बताते हैं। इस वर्ष किशनगंज में मुस्लिमों ने दुर्गा पूजा के दौरान प्रतिमा विसर्जन यात्रा पर हमला किया था। लाईन गड़ीमान मुहल्ला चौक पर हुए इस अप्रत्याशित हमले में कई लोग बुरी तरह से जख़्मी हुए थे।

बायसी में हिंदुओं पर हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है। 19 मई, 2021 को बायसी थाना के मझुआ गांव में 150 से अधिक जेहादियों ने महादलित टोले पर हमला कर उनके घरों में आग लगा दिया था। इस हमले में 13 घर जलकर राख हो गए तथा एक सेवानिवृत चौकीदार नेवालाल राय की मृत्यु हो गई थी। ये लोग दशकों से वहां रह रहे थे। इसके पहले भी इनपर कई बार हमले हुए थे। तीन वर्ष तक यहाँ पुलिस बल भी तैनात किया गया था। महा दलित के ऊपर जिहादी दबाव बना रहे थे कि वे इस जगह को छोड़कर चले जाएं, जिससे वे बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को बसा सके।

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