केरल में गांधी परिवार ने वायनाड सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ी राजनीतिक तोड़फोड़ की योजना बनाई है और इसमें सफल भी होते दिखाई दे रहे हैं। वामपंथी और कांग्रेस पोषित मीडिया इस घटना को या तो नजरअंदाज करने की नाकाम कोशिश कर रही है या फिर बहुतों को इसकी जानकारी ही नहीं है।
2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड दोनों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। 2019 में अमेठी में स्मृति ईरानी के हाथों मिली हार से राहुल गांधी इतने हतप्रभ हो गए थे कि अब वह आगामी लोकसभा चुनावों में दो सीटों से ही मैदान में उतरेंगे। राहुल गांधी ने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया क्योंकि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की बढ़ती राजनीतिक मांगें उन्हें परेशान कर रही थीं। उनकी दादी इंदिरा गांधी ने 1980 में रायबरेली और तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मेडक से चुनाव जीता था लेकिन उन्होंने रायबरेली सीट अपने रिश्तेदार अरुण नेहरू को चुनाव लड़ने के लिए खाली कर दी थी। सोनिया गांधी ने 1999 में बेल्लारी और अमेठी से चुनाव जीता, मगर उन्होंने बेल्लारी सीट खाली कर दी। बेल्लारी की जनता ने कांग्रेस को इसका प्रतिशोध स्वरूप 2004, 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में करारी शिकस्त दी।
वायनाड सीट खाली करने की अनिश्चितता और IUML का दबाव
प्रियंका गांधी के लिए रायबरेली सीट खाली करना गांधी परिवार की परंपरा होती, मगर राहुल गांधी का वायनाड सीट खाली करना इस परंपरा से उलट एक बड़ा कदम था। राहुल गांधी शायद IUML की बढ़ती मांगों से परेशान थे या केरल में एक बड़े राजनीतिक बदलाव की संभावना से आशंकित थे। गौरतलब है कि 2019 में वायनाड से चुनावी दावेदारी पेश करते समय IUML ने कांग्रेस नीत गठबंधन से पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में रामनाथपुरम लोकसभा सीट अपने लिए आरक्षित करवाई थी। जबकि इससे पहले IUML का यहां से चुनाव लड़ने का कोई इतिहास नहीं था।
वायनाड लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण
वायनाड लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से तीन वायनाड जिले में, तीन मलप्पुरम जिले में और एक तिरुवंबडी, कोझिकोड जिले में स्थित है। 2021 के विधानसभा चुनाव में इनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी, जबकि एक सीट IUML के कब्जे में थी। नीलांबुर विधानसभा सीट पर वामपंथी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार पी.वी. अनवर ने कांग्रेस को हराया था।
पी.वी. अनवर का राजनीतिक मोर्चा और गांधी परिवार की रणनीति
हाल ही में केरल में तब एक बड़ा राजनीतिक उथल-पुथल हुआ जब नीलांबुर के निर्दलीय विधायक पी.वी. अनवर ने वाम गठबंधन के खिलाफ जाकर अपना खुद का राजनीतिक संगठन “डेमोक्रेटिक मूवमेंट ऑफ केरल” बनाने की घोषणा की। माना जा रहा है कि इस राजनीतिक कदम के पीछे गांधी परिवार का समर्थन है। वायनाड में प्रियंका गांधी की संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए गांधी परिवार ने पी.वी. अनवर को आगे बढ़ाया है, ताकि IUML के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
गांधी परिवार की तोड़फोड़ की परंपरा
विपक्षी दलों में तोड़फोड़ और दलबदल कराने की गांधी परिवार की पुरानी रणनीति रही है। महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी और शरद पवार ने शिवसेना में तोड़फोड़ कर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन करवाया। 90 के दशक में गुजरात में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा में दलबदल कराकर शंकर सिंह वाघेला के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता पार्टी का गठन किया, जिन्हें बाद में कांग्रेस ने समर्थन देकर मुख्यमंत्री भी बनाया।
गांधी परिवार को इसका राजनीतिक लाभ मिलता रहा है कि भाजपा और वाम दल कभी भी एकसाथ नहीं आ सकते हैं, जिससे कांग्रेस पार्टी केरल में चुनावों में सुरक्षित महसूस करती है।
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