हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों ने भारत के कम्युनिस्ट वर्ग को हैरानी से भर दिया था, हैरानी से कहीं बढ़कर उनके लिए यह सदमे से कम नहीं था। हर ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में कॉंग्रेस की जीत निश्चित बताई जा रही थी और जैसे ही परिणाम आए, वैसे ही विलाप शुरू हो गया। मगर यह भारत के एक प्रान्त के चुनाव थे, इसलिए यह स्वाभाविक था। मगर भारत का यही वर्ग अमेरिका में हो रहे चुनावों के परिणाम पर भी उसी प्रकार विलाप कर रहा है, जैसा उसने भारत में हरियाणा के चुनाव परिणामों के बाद किया था।
इंडिया टुडे की पत्रकार प्रीती चौधरी ने एक्स पर लिखा कि “यह बहुत ही अजीब है कि यह ट्रम्प ही है, जिसके कारण अमेरिका को दूसरी बार महिला राष्ट्रपति नहीं मिल सकी। सेक्शुअल हमले, फेडरल मुकदमे और यही अमेरिकी सपना है“
In a strange way it’s a tad poetic that it was #Trump who came in the way of America getting its first woman President.. not once but twice over .. convicted felon .. sexual assault .. federal cases .. this is the true American dream.. everything is possible 🙂
— Preeti Choudhry (@PreetiChoudhry) November 6, 2024
दरअसल अमेरिका की कम्युनिस्ट लॉबी की तरह भारत की कम्युनिस्ट लॉबी भी ट्रम्प से घृणा करती है। ट्रम्प को नीचा दिखाती है। वह कम्युनिस्ट कमला की जीत की उसी प्रकार अपेक्षा कर रही थी, जैसी वह भारत में राहुल गांधी की जीत की कर रही थी। तृणमूल सांसद सागरिका घोष के पति पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्रम्प को “दोषी व्यक्ति बताया।
In the eyes of the law, Donald Trump is a convicted felon. In the eyes of America’s complicated electoral college system, he is edging closer to becoming President once again! #USElection
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 6, 2024
“ राजदीप सरदेसाई ने एक्स पर पोस्ट लिखा कि “कानून की नज़र में डोनाल्ड ट्रंप एक दोषी अपराधी हैं। अमेरिका की जटिल चुनावी कॉलेज प्रणाली की नज़र में, वे एक बार फिर राष्ट्रपति बनने के करीब पहुँच गए हैं! #USElection”
मगर ये वही राजदीप हैं, जो भारत में उन नेताओं के लिए कभी भी दोषी अपराधी शब्द का प्रयोग नहीं करते हैं, जो उनके विचारों के अनुकूल हैं। जैसे लालू प्रसाद यादव आदि। वे यह नहीं बताते कि वर्तमान में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी जमानत पर ही बाहर हैं।
दरअसल कम्युनिस्ट लिबरल्स वही परिणाम देखना चाहते हैं, जो उनके दिमाग में पहले से ही निर्धारित हो चुके होते हैं। वे पक्षपात होकर लिखते हैं और वास्तविकताओं से परे होकर ही देखते हैं। जैसे भारत में वे लोग लगभग तय कर चुके थे कि हरियाणा में कॉंग्रेस सत्ता में आ रही है, तो जब चुनावों के नतीजे आने आरंभ हुए तो शुरुआती रुझानों में कॉंग्रेस को पूर्ण बहुमत दिया जा चुका था। मगर जब सच्चाई सामने आनी शुरू हुई तो वे स्तब्ध रह गए और अपना विलाप आरंभ कर दिया।
अमेरिका के चुनावों में भी वे लोग यह मानकर चल रहे थे कि कमला हैरिस ही जीतने जा रही हैं। ट्रम्प कहीं से भी कमला के मैच के नहीं हैं आदि आदि, जैसी धारणाएं उनकी रिपोर्टिंग में भी थी। जबकि यह जो बाइडेन और कमला हैरिस ही हैं, जिनके शासनकाल में अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरे विश्व ने न केवल कट्टर इस्लाम का एक बार फिर उदय देखा, बल्कि अमेरिका का हस्तक्षेप मध्य एशिया के देशों में देखा।
अभी तक तालिबान के अत्याचारों से कराहती अफगानी महिलाओं को अनदेखा करने वाले लोग अचानक से जाग गए और अमेरिका की महिलाओं की चिंता की जाने लगी। फेमिनिस्ट लेखिका निधि शर्मा ने एक्स पर लिखा कि “बधाई हो अमेरिका, आपका तालिबानीकरण शुरू हो चुका है। अगर आप भूल गए हैं, तो बता दें कि श्री ट्रम्प ने रो बनाम वेड के फैसले को पलटने वाले न्यायाधीशों को नियुक्त किया था और अमेरिकी महिलाओं को उनके शरीर और जीवन पर सार्थक नियंत्रण से वंचित कर दिया था। और अगर आप यह भी भूल गए हैं – MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) एक मर्दाना, जहरीला पंथ आंदोलन है, जहाँ पुरुष किसी तरह महिलाओं को उनकी औकात में रखकर महान बन जाते हैं।“
साइमा से लेकर सागरिका घोष तक हर उस व्यक्ति ने ट्रम्प की जीत पर विलाप किया है, जिसने भारत में नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर दुख जताया था और जिसने कॉंग्रेस की 99 सीटों का जश्न मनाया था। जब ट्रम्प की जीत पर कथित लिबरल और इस्लामिस्ट पत्रकारों और लेखकों के विलाप की बात चले और आरफा खानम शेरवानी का उल्लेख न हो, ऐसा नहीं हो सकता। आरफा ने लिखा कि
“यह दुनिया थोड़ा और ज्यादा अंधेरा और निराश जगह हो गई है”
The world has become a little more darker, grimier and hopeless place.
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) November 6, 2024
हालांकि आरफा को लोगों ने एक्स पर ही याद दिलाया कि वे अभी अमेरिका में ही बैठकर यह पोस्ट कर रही हैं। सबा नकवी का भी दुख छिपाए नहीं छिपा। सबा नकवी ने लिखा कि
“ट्रम्प की जीत! विश्व में सबसे बड़ी राइट विंग की जीत!”
Trump Trumps. The biggest Right wing win in the world.
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) November 6, 2024
भारत से हटकर यह पूरा का पूरा वर्ग ट्रम्प की जीत पर जिस प्रकार विलाप कर रहा है, वह कल्पना से परे है। कमला हैरिस के प्रति दीवानगी है या फिर ट्रम्प के खिलाफ घृणा, यह भी समझ में नहीं आता। मगर भारत का कम्युनिस्ट वर्ग किसी दूसरे देश की और वह भी सुदूर कोने मे उपस्थित अमेरिका की राजनीति को लेकर क्यों रो रहा है, जबकि उसके अपने पड़ोसी देशों में सत्ता परिवर्तन का स्वागत उसी ने किया है और जबरन सत्ता परिवर्तन का, जो लोकतान्त्रिक नहीं था। जैसे अफगानिस्तान में तालिबानियों का सत्ता पर कब्जा जमाना हो या फिर बांग्लादेश से शेख हसीना का भागना। दोनों ही मामलों में यहाँ का कम्युनिस्ट वर्ग सत्ता परिवर्तन का उल्लास मना रहा था तो फिर सुदूर अमेरिका में जब लोकतान्त्रिक तरीके से सत्ता परिवर्तन हुआ है तो यह विलाप कैसा?
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