तमिलनाडु

शरिया का हवाला देकर दूसरे निकाह को जायज ठहराने वाले मुस्लिमों को झटका, हाई कोर्ट बोला-ये पहली बीवी के साथ क्रूरता

कोर्ट का यह भी कहना था कि वैसे तो मुस्लिमों को दूसरा निकाह करने का अधिकार मिला हुआ है। पहली बीवी उसे ऐसा करने से नहीं रोक सकती है। लेकिन ऐसा करने के बाद भी वह पहली बीवी के भरण-पोषण से इंकार नहीं कर सकता है।

Published by
Kuldeep singh

शरिया कानून का हवाला देकर मुस्लिम पुरुष अक्सर दूसरे निकाह को जायज ठहराते हैं। चाहे इसके कारण उनकी पहली बीवी की कितनी ही प्रताड़ना क्यों न हो। लेकिन अब मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने पहली बीवी के रहते मुस्लिमों के दूसरे निकाह को क्रूरता करार दिया है। कोर्ट ने माना कि पुरुषों द्वारा दूसरे निकाह से पहली बीवी को शारीरिक, मानसिक तनाव और पीड़ा का सामना करना पड़ता है।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि तमिलनाडु के एक मुस्लिम व्यक्ति ने एक मुस्लिम युवती से पहला निकाह 2010 में किया। कुछ समय तक साथ रहने के बाद दोनों को एक बच्चा भी हुआ। बाद में महिला के शौहर ने दूसरी मुस्लिम लड़की के साथ निकाह कर लिया। इसी को लेकर दोनों के बीच झगड़े हुए। वर्ष 2018 में महिला ने शौहर के खिलाफ मारपीट और घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा दिया। मामला कोर्ट पहुंचा। इसके बाद सुनवाई अनवरत होती रही और साल 2021 में मजिस्ट्रेट ने व्यक्ति को अपनी बीवी को 5 लाख रुपए का मुआवजा और नाबालिग बच्चे के भरण पोषण के लिए प्रति माह 25,000 रुपए देने का फैसला सुनाया।

मजिस्ट्रेट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम व्यक्ति ने तिरुनेलवेली जिला और सत्र अदालत में चुनौती दी, जहां से उसे झटका लगा तो वह हाई कोर्ट चला गया। अब उसी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के फैसले को बरकरार रखा है।

मुस्लिम व्यक्ति ने जमात के तलाक सर्टिफिकेट को बनाया आधार

सुनवाई के दौरान महिला के शौहर ने तमिलनाडु शरिया काउंसिल तौहीद जमात द्वारा जारी किए गए तलाक सर्टिफिकेट को मानने से इंकार कर दिया। हाई कोर्ट के जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कहा कि याचिकाकर्ता मुसलमान है, उसे याचिका का अधिकार भी है, लेकिन उसके पहले निकाह के खत्म होने का कोई कानूनी आधार नहीं है।

मुस्लिम बीवी शौहर को दूसरे निकाह से नहीं रोक सकती

कोर्ट का यह भी कहना था कि वैसे तो मुस्लिमों को दूसरा निकाह करने का अधिकार मिला हुआ है। पहली बीवी उसे ऐसा करने से नहीं रोक सकती है। लेकिन ऐसा करने के बाद भी वह पहली बीवी के भरण-पोषण से इंकार नहीं कर सकता है।

Share
Leave a Comment

Recent News