केरल के कोच्चि स्थित मुनंबम गांव पर वक्फ बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से क्लेम किए जाने पर पहली बार राज्य की वामपंथी पार्टी के विधायक एन उन्नीकृष्णन ने इस बात को स्वीकार किया है कि वक्फ बोर्ड की सबसे बड़ी खामी उसकी असीमित शक्तियां हैं। उन्होंने माना कि मौजूदा वक्फ कानून उसे किसी भी जमीन पर अपनी मर्जी से अधिकार करने की ताकत प्रदान करता है।
क्या है पूरा मामला
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू के दौरान एन उन्नीकृष्णन ने ये बातें कहीं। उन्नीकृष्णन ने कहा कि वर्ष 2019 में ही मुनंबम की 404 एकड़ से अधिक की जमीन को अपने नाम पर रजिस्टर कर लिया था। वापमंथी विधायक ने निसार आयोग का जिक्र करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड अपनी संपत्तियों की तलाश कर रहा था। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2008 में निसार आयोग का गठन किया गया। इस आयोग ने 2009 में अपनी रिपोर्ट सरकार को दी। बाद में इसी के आधार पर सरकार ने दो नए आदेश जारी किए।
निसार आयोग ने मुनंबम को वक्फ संपत्ति माना
खास बात ये है कि वामपंथी विधायक ने इस बात को स्वीकार किया है कि राज्य की वामपंथी सरकार के द्वारा गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की थी कि मुनंबम को वक्फ बोर्ड की संपत्ति माना जा सकता है। इसी को आधार बनाकर वक्फ बोर्ड ने मुनंबम गांव पर एकतरफा दावा पेश कर दिया। 2019 में बिना किसी की सुनवाई के मुनंबम क्षेत्र को अपना घोषित कर दिया।
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न्यूज वेबसाइट से सीपीएम विधायक ने कहा कि अगर कोई मुझसे इस पर पूछेगा तो मैं यही कहूंगा कि वक्फ बोर्ड को कांग्रेस सरकार के द्वारा असीमित शक्तियां देना ही इसकी सबसे बड़ी खामी है। गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड के मनमाने दावे के कारण ईसाई बहुल मुनंबम के 610 लोगों की संपत्तियां खतरे में हैं। लोग वक्फ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
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