कर्नाटक के बेलगावी शहर में एक दिन पहले मुगल आततायी औरंगजेब की सालगिरह मनाने के लिए एक पोस्टर लगाया गया जिसमें उसे “अखंड भारत का जनक” लिखा गया। यह पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और देखते ही देखते मीडिया में भी यह पोस्टर आ गया। कहा गया कि कुछ लोगों ने बिना इजाजत के यह पोस्टर लगा दिया था। पुलिस ने इस पोस्टर को हटा दिया।
3 नवंबर को औरंगजेब की सालगिरह मनाने के लिए पोस्टर लगाया गया था। मगर क्या औरंगजेब ऐसा था, जिसकी सालगिरह मनाई जाए? उसने हिंदुओं के साथ अत्याचार की हर सीमा तो पार की ही, उसने अपने सभी भाइयों को गद्दी के लिए मरवा दिया था। यह औरंगजेब ही था, जिसने अपने अब्बा शाहजहां को तड़पा-तड़पा कर मरवाया था।
अब्बा शाहजहां को प्रताड़ित करता था
जब भी इतिहास में शाहजहां की मौत की बात आती है तो केवल यह कहा जाता है कि उसकी मौत किले में हो गई थी, जब औरंगजेब ने उसे कैद किया था। मगर यह सच्चाई कम ही बाहर आती है कि कैसे औरंगजेब ने अपने अब्बा बादशाह शाहजहां को कैद करके प्रताड़ित किया था। उसने शाहजहां को आगरा के किले में कैद किया था। औरंगजेब ने अपने शाहजहां पर जो अत्याचार किये, उसके विषय में शिवाजी द ग्रांड रेबेल में डेनिस किनकैड ने विस्तार से लिखा है। उन्होंने अपनी इस पुस्तक में पृष्ठ 213 पर लिखा है कि औरंगजेब रोज आगरा के किले की उस दीवार पर जोर-जोर से ढोल नगाड़े बजवाता! औरंगजेब चाहता था कि उसके अब्बा और बादशाह शाहजहां किसी तरह मर जाएं। इसलिए जब शाहजहां के मरने का कोई समाचार नहीं आता तो वह फिर अगले दिन और तेज आवाज़ में ढोल नगाड़े, बजाने लगता। भीतर शाहजहां के कानों के पर्दे फटते रह जाते और फिर वह असहाय सा लेट जाता! और ऐसा एक या दो बरस नहीं बल्कि सात बरस तक चला था।
उसने लिखा है कि शाहजहां को जहर देने के कई प्रयास विफल हुए। इस पुस्तक में लिखा है कि ऐसा कहा जाता है कि शाहजहां की मौत अपने बेटे की बदतमीजी के कारण नहीं हुई, बल्कि उसकी अपनी यौन कमजोरी के कारण हुई थी। कहा जाता है कि एक दिन वह आइने के सामने खड़े होकर चेहरा देख रहा था, तो रात की कनीजों द्वारा उड़ाया जा रहा उसका मजाक कानों में पड़ा। वह इस मजाक को बर्दाश्त नहीं कर सका। उसने इतना एप़ॉडिज़िऐक (कामोत्तेजक औषधि) मंगवाकर खाया कि वह मूर्छित हो गया और फिर मानुकी के शब्दों में, वह कभी भी सेब तक की गंध न ले सका अर्थात कभी भी होश में नहीं आया।
भाई दाराशिकोह का सिर काटा और उसकी पत्नी पर गंदी नजर डाली
जिस औरंगजेब की सालगिरह मनाने के लिए कट्टरपंथी और कम्युनिस्ट आकुल और व्याकुल हैं, उसने अपने तीनों भाइयों का खून किया था। जिस दाराशिकोह को जनता अपना अगला बादशाह मानती थी, और जिससे उसका अब्बा शाहजहां सबसे ज्यादा प्यार करता था, उस दाराशिकोह को उसने युद्ध में हराने के बाद मारा और फिर उसका कटा हुआ सिर तश्तरी में सजाकर अपने अब्बा के पास भेजा, जो उस समय आगरा के किले में कैद था।
मगर उससे भी बढ़कर यह कि वह अपने इस भाई से इतनी नफरत करता था कि उसने मरे हुए राजकुमार का अपमान करने के लिए उसकी हिंदू पत्नी राना-दिल को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की। राना-दिल हिंदू थी और जिससे दाराशिकोह प्रेम करता था और उसने अपने अब्बा से कहकर उसे राजकुमारी का दर्जा भी दिलाया था। जब उसे औरंगजेब की हरम की दावत मिली तो उसने औरंगजेब के पास पैगाम भेजा कि “वह जिस सुन्दरता पर फ़िदा हुआ है, वह उसे कभी नहीं मिलेगी, क्योंकि वह अब है ही नहीं!” उसने खंजर लेकर अपने चेहरे को लहूलुहान कर लिया और चेहरा बर्बाद कर दिया।
जो अपनो का सगा नहीं उसे भारत का सगा बताने की साजिश
जरा सोचिए कि औरंगजेब को केवल इसलिए कि उसने हिंदुओं पर अत्याचार किये थे, मंदिर तोड़े थे और लोगों का जबरन मतांतरण कराया था, उसे अपना मसीहा मानने वाले कट्टरपंथी और कम्युनिस्ट कैसे उसकी सालगिरह मना सकते हैं? उसने अपने अब्बा को तड़पाया, मानसिक और शारीरिक यंत्रणा दी, अत्याचारों की हर सीमा पार कर दी और साथ ही अपने सभी भाइयों को मरवाया, अब्बा के सबसे प्रिय बेटे का सिर काटकर तश्तरी में भेजा?
हिंदुओं के साथ जो औरंगजेब ने किया, उसकी तो अंतहीन कहानियां हैं, ये दो उदाहरण तो मात्र इसके थे कि कैसे वह अपने सगे लोगों का भी सगा नहीं था और उसे पूरे भारत का सगा बताने का कुचक्र इस्लामी कट्टरपंथी और कम्युनिस्ट लिबरल रच रहे हैं।
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