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वक्‍फ बोर्ड के अवैध कब्‍जों पर घिर गए सिद्धारमैया, जाग रहा कर्नाटक

पिछले दिनों कर्नाटक में वक्‍फ बोर्ड ने किसानों की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताकर नोटिस भेजने का काम बड़े स्‍तर पर किया

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Nov 6, 2024, 08:38 am IST
in भारत
वक्फ बोर्ड की कारगुजारियों से कर्नाटक के लोग परेशान हैं।

वक्फ बोर्ड की कारगुजारियों से कर्नाटक के लोग परेशान हैं।

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देशभर में इस वक्‍त वक्‍फ वोर्ड की दादागीरी के चर्चे हैं, जब से संसद में इसमें सुधार किए जाने को लेकर अपने प्रयास चालू हुए हैं, ऐसा लग रहा है कि इस पर संसद किसी निर्णय पर पहुंचे, उससे पहले वक्‍फ बोर्ड भारत भर में अधिक से अधिक भूमि एवं संपत्‍त‍ियां जोकि हिन्‍दू एवं अन्‍य गैर मुसलमानों एवं सरकारी हैं, अपने नाम लिखवा लेना चाहता है। इसके लिए फिर क्‍यों न कितने ही लोगों की जमीन हड़पनी पड़े, गैर मुसलमानों को क्‍यों ना इसके लिए कितना भी प्रताड़‍ित किया जाए, वह सब किया जाएगा, पर जमीन हर हाल में वक्‍फ बोर्ड के नाम हो जानी चाहिए!

पिछले दिनों अकेले कर्नाटक में ही वक्‍फ बोर्ड ने किसानों की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताकर नोटिस भेजने का काम बड़े स्‍तर पर किया। राज्य के विजयपुरा, कलबुर्गी, बीदर और शिवमोग्गा के किसानों ने जमीन के संबंध में नोटिस मिलने की शिकायत की थी। नोटिस में पीढ़‍ियों से खेतिहर किसानों की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया गया है। इतना ही नहीं एक हिन्‍दू किसान की जमीन तो वक्‍फ बोर्ड से उसके द्वारा मानवता दिखाने के चलते ही अपने नाम कर ली है, अब वह अपनी ही जमीन के लिए दफ्तर-दफ्तर चक्‍कर काट रहा है। कर्नाटक में अब वक्फ बोर्ड के खिलाफ व्‍यापक विरोध शुरू हो गया है ।

दरअसल, कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बीदर जिले की चटगुप्पा तहसील के अंतर्गत आने वाले उदाबाला गांव के किसान कृष्णमूर्ति की 18.60 एकड़ जमीन है । उनकी जमीन को वक्फ बोर्ड ने पिहानी में अपने नाम पर रजिस्टर कर लिया है। इस किसान की यहां मानवता उसे भारी पड़ी है, क्‍योंकि गांव में कब्रिस्‍तान नहीं होने पर उन्‍होंने मानवता दिखाते हुए 30 वर्ष पूर्व एक मुस्लिम शख्स की मौत पर उसे दफनाने के लिए अपने खेत का एक छोटा सा टुकड़ा दिया। अब यही मानवता कृष्णमूर्ति को भारी पड़ी है। वक्फ बोर्ड ने कृष्णमूर्ति की जमीन पर दावा ठोकते हुए इसे अपना बता दिया और उसे पिहानी में अपने नाम पर दर्ज करा लिया। कृष्णमूर्ति को कोई नोटिस जारी किए बिना ही उनका नाम पिहानी में जोड़ लिया गया। अब कृष्णमूर्ति अपनी जमीन वापस पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

दूसरी ओर बीदर के जिला कलेक्टर पीसी कुमार भी इस बात को स्‍वीकार कर रहे हैं कि कई वंचितों और हिन्दुओं की जमीन को वक्फ बोर्ड को गलत तरह से दे दिया गया है, पर करें तो करें क्‍या? फैसला तो अब वक्‍फ ट्रिब्यूनल में होना है। देखा जाए तो कर्नाटक में इस किसान की यह कोई अकेली कहानी नहीं है, इसके जैसे देश भर में कई किसान एवं अन्‍य लोग हैं, जिनकी संपत्‍त‍ियों को वक्‍फ बोर्ड ने हथिया लिया है। हालांकि अभी अन्‍य राज्‍यों में वक्‍फ के इस तरह के कारनामों के खिलाफ अभी कोई बड़ा आन्‍दोलन खड़ा होता दिखाई नहीं देता, लेकिन कर्नाटक में जरूर देखने में आ रहा है कि लोग वक्‍फ बोर्ड के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं, विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदेश की सत्‍ता संभाल रही कांग्रेस इसमें पूरी तरह से घिर गई है । मुख्‍यतमंत्री सिद्धारमैया अभी भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं, वे प्रदेश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के लिए भाजपा को जिम्‍मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन वे भी कह सकते हैं कि पूरी तरह बौकफुट पर नजर आ रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य सरकार के खिलाफ सोमवार को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का जो शंखनाद किया, वह अब तेजी से आगे बढ़ता नजर आ रहा है। भाजपा द्वारा प्रदेश भर में जो विचार व्यक्त किए जा रहे हैं, उसका सार यह सामने आया है कि कांग्रेस सरकार यहां राज्‍य में लगातार “जमीन जिहाद” कर रही है, जिसके निशाने पर गैर मुसलमान हैं। केंद्रीय मंत्री शोभ करंदलाजे का कहना है कि जब तक मुद़्दा सुलझ नहीं जाता, हम हार नहीं मानेंगे। हम अनिश्चितकालीन अनशन पर रहेंगे। अगर हम सब मजबूत रहे तो हमारे किसानों और मठों की जमीनें हमारे पास रहेंगी, जो हमारी संपत्‍त‍ियां वक्‍फ बोर्ड ने जबरन हथिया ली हैं, वह भी वापिस आएंगी, यह विरोध न्‍याय पाने तक खत्म नहीं होगा।

बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या भी इस मामले में बहुत सक्रिय हैं, उन्‍होंने कहा कि पिछले 15-20 दिनों में कर्नाटक के कई जिलों में किसानों की हजारों एकड़ जमीन को बिना किसी नोटिस या सुनवाई के वक्फ बोर्ड ने अपने नाम पर बदल दिया है। सरकार ने इस प्रक्रिया में हर प्रकार का समर्थन भी दिया है। पिछले करीब एक सप्ताह से अधिक समय से कर्नाटक में इस मामले को लेकर 10 से अधिक जिलों में लगातार प्रदर्शन हो रहा है और हजारों संख्या में किसान वक्फ बोर्ड के खिलाफ इस आंदोलन में अनशन पर बैठे हैं। बेंगलुरु दक्षिण से सांसद तेजस्वी सूर्या बताते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है वह कर्नाटक के वक्फ मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान ने कहने पर किया जा रहा है, जिसमें पूरी कांग्रेस सरकार मिली हुई है। विभाग के मंत्री ने उप आयुक्त और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया है कि 15 दिनों में जमीनें वक्फ बोर्ड के पक्ष में पंजीकृत की जाएं, अब वे इसी कार्य में लग गए हैं, यह भी नहीं देख रहे कि वह जमीन वास्‍तविकता में वक्‍फ बोर्ड की है भी या नहीं ।

सांसद सूर्या का आरोप है कि ऐसा करके भाजपा नीत एनडीए सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के लिए होने वाले सुधारों में अड़ंगा लगाने की कोशिश की जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की भी अवहेलना हो रही है। जिसमें किसान किनारे हो जाएंगे और राजस्व लेखों में उनकी जमीन वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज हो जाएगी। वे प्रश्‍न खड़ा करते हैं कि भारत संविधान और कानून के हिसाब से चलेगा न कि शरिया या जमीर अहमद खान जैसे मंत्रियों के निर्देशों से। 1955 के वक्फ कानून और फिर 2013 में हुए संशोधन से वक्फ बोर्ड को एक तरह से असीमित शक्तियां कांग्रेस द्वारा दी गईं। इसका गलत फायदा आज वक्‍फ बोर्ड उठा रहा है, वो किसी भी जमीन के वक्फ संपत्ति होने का दावा कर सकते हैं। ऐसे कानून बना कर कांग्रेस ने पूरे देश के नागरिकों के धोखा दिया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया पर आरोप लगाया है कि वे सत्‍ता में मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बैठे जरूर हैं, लेकिन उनकी नजरों में सभी राज्‍य के नागरिक एक समान नहीं है, वे तुष्‍टीकरण की राजनीति कर रहे हैं । प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र कहते हैं, यदि मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया में हिम्मत है और वह ईमानदार हैं तब वे वक्फ भूमि पर अतिक्रमण करने वाले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करके दिखाएं। भाजपा वक्फ मंत्री जमीर अहमद खान को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रही है । ऐसे में कर्नाटक में अभी जो माहौल है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि आनेवाले दिनों में भाजपा का वक्‍फ बोर्ड को लेकर आन्‍दोलन ओर तेज होगा। जिससे यहां कांग्रेस के लिए निकलना आसान नहीं है।

उल्‍लेखनीय है कि वर्ष 1954 में जवाहर लाल नेहरू की सरकार के समय वक्फ एक्ट, 1954 पास किया गया, जिसका मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना और जरूरी प्रावधान करना था। इस एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर रख-रखाव तक को लेकर प्रविधान हैं। एक्ट में दिए गए प्रावधानों के मुताबिक वर्ष 1964 में अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन हुआ। यह वक्फ बोर्डों के कामकाज के मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देती है। वर्ष 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई। आंकड़ों के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास देश भर में लगभग नौ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। वर्ष 2009 में यह जमीन चार लाख एकड़ हुआ करती थी, इन जमीनों में ज्यादातर मस्जिद, मदरसा, और कब्रगाह हैं। फिलहाल वक्‍फ बोर्ड की कारगुजारियों को लेकर कर्नाटक राज्‍य के लोग इन दिनों अपने हक के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। अन्य राज्यों में भी लोग वक्‍फ बोर्ड का कारगुजारियों से परेशान हैं। वे न्‍याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं।

Topics: वक्फ बोर्डकर्नाटक सरकारसिद्धारमैयावक्फ संपत्तिकर्नाटक वक्फ बोर्डवक्फ बोर्ड जमीन
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