कर्नाटक

कर्नाटक: मुसलमान के शव को अपनी जमीन पर दफनाने देना पड़ा महंगा, वक्फ बोर्ड ने किसान की 18.6 एकड़ जमीन को अपने नाम किया

Published by
Kuldeep singh

वक्फ बोर्ड की मनमानियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। उसके द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग का एक और मामला प्रकाश में आया है, जहां कर्नाटक के बीदर में वक्फ बोर्ड ने किसान की 18.60 एकड़ जमीन पर अपना दावा ठोंक रखा है। वक्फ बोर्ड ने किसान कृष्णमूर्ति की मानवता दिखाने की गलती का फायदा उठाया, जिसमें उन्होंने करीब 30 साल पहले एक मुस्लिम के शव को अपनी जमीन पर दफनाने दिया था। अब उसी को आधार बनाकर वक्फ बोर्ड ने किसान की जमीन को अपने नाम पर कर लिया है।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बीदर जिले की चटगुप्पा तहसील के अंतर्गत आने वाले उदाबाला गांव के किसान कृष्णमूर्ति की 18.60 एकड़ जमीन को अपने नाम पर ट्रांसफर कर लिया है। उनकी जमीन को वक्फ बोर्ड ने पिहानी में अपने नाम पर रजिस्टर कर लिया है। कृष्णमूर्ति बताते हैं कि उनकी जमीन पहले 1/4 थी, यानि कि इस जमीन के 4 मालिक थे। मरप्पा, मारुति, कृष्णमूर्ति और लकप्पा। हालांकि, बाद में तीन लोगों की मौत हो गई और ये पूरी जमीन कृष्णमूर्ति के नाम हो गई।

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तकरीबन 30 वर्ष पूर्व एक मुस्लिम शख्स की मौत हो गई थी, जिसे दफनाने के लिए जमीन नहीं थी, जिस कारण से मानवता को ध्यान में रखते हुए कृष्णमूर्ति ने उसे अपने खेत के एक कोने में दफनाने की इजाजत दे दी। लेकिन, उनकी ये मानवता तब उन्हें ही भारी पड़ गई, जब 11 साल पहले 2013 में वक्फ बोर्ड ने कृष्णमूर्ति की जमीन को अपना बता दिया और उसे पिहानी में अपने नाम पर दर्ज करा लिया। कृष्णमूर्ति को कोई नोटिस जारी किए बिना ही उनका नाम पिहानी में जोड़ लिया गया। अब 11 साल से कृष्णमूर्ति अपनी जमीन वापस पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

बीदर के जिला कलेक्टर पीसी भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि जाफर के कार्यकाल के दौरान वंचितों, हिन्दुओं की जमीन को वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था। खास बात ये है कि उदाबाला गांव का आधा हिस्सा, जिसमें कृष्णमूर्ति की जमीन भी शामिल है, उसमें 90 से अधिक लोगों के घर हैं। ये पूरा हिस्सा सर्वे नंबर 1 में आता है। इसी पर वक्फ बोर्ड अपना दाव करता है। बहरहाल, किसान की समस्याओं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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गौरतलब है कि इससे पहले हाल ही में कर्नाटक के विजयनगर में वक्फ बोर्ड ने किसानों की 1500 एकड़ जमीन पर अपना दावा ठोंक दिया था। बाद में किसानों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने जमीनों को लेकर जारी किए गए नोटिस को वापस लेने का फैसल किया था। इसी तरह से हावेरी में भी एक गांव पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोंक दिया था। अब बीदर में भी ऐसा ही किया है।

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