वक्फ बोर्ड की मनमानियों पर लगाम लगाने की मांगों के बीच अब तो मुस्लिम महिलाओं ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए वक्फ संशोधन अधिनियम-2024 का समर्थन कर दिया है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति की संसद भवन में बैठक के दौरान मुस्लिम महिला समूह ने वक्फ प्रबंधन को दुरुस्त करने के उद्देश्य से लाए गए एक्ट का समर्थन किया।
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए प्रस्तावित कानून को विपक्ष के विरोधों के चलते जेपीसी के पास भेजा गया था। सोमवार को संसद के एनेक्सी भवन में बुलाई गई बैठक में मुस्लिम महिलाओं के समूह को भी अपनी राय रखने के लिए आमंत्रित किया गया। शालिनी अली के नेतृत्व वाले मुस्लिम महिला बौद्धिक समूह को अपने सुझावों और विचारों को साझा करने के आमंत्रित किया गया था। इस मौके पर मुस्लिम महिलाओं ने वक्फ बोर्ड के कार्य करने के तरीके पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि वक्फ के अंदर सामाजिक कल्याण जैसी भावना का लेशमात्र नहीं है।
मुस्लिम महिलाओं ने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड केवल कुछ प्रभावशाली लोगों के कब्जे में है, जहां पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होता है और इसके कर्ता-धर्ता समाज के वंचितों को प्रतिनिधित्व नहीं देना चाहते हैं। जेपीसी के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं ने वक्फ बोर्ड से सवाल किया है कि आखिर आज तक उसने समाज के कल्याण के लिए क्या किया है,जमीनों पर अवैध कब्जे करने वाले भू माफियाओं के खिलाफ क्या एक्शन लिए गए। साथ ही वक्फ बोर्ड से विधवाओं, पुनर्विवाह की चाहत रखने वाली महिलाओं और विशेष तौर पर अनाथों के हित में किए गए कार्यों के स्पष्टीकरण की मांग की।
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वहीं जेपीसी की बैठक में शामिल हुए एक अन्य मुस्लिम संगठन जमीयत हिमायतुल इस्लाम के कारी अबरार जमाल ने वक्फ बोर्ड पर भू माफियाओं वाले कार्य करने का आरोप लगाया। साथ ही वक्फ में मुतवल्लियों की भूमिका पर लगाम लगाते हुए जिला कलेक्टर से इस मामले में पर निगरानी रखने की अपील भी की गई है। मुस्लिम नेताओं ने जेपीसी में अपनी राय रखी है कि मस्जिद, कब्रिस्तान और दरगाहों को छोड़कर वक्फ के नियंत्रण वाली सभी जमीनों पर रोजगारपरक परियोजनाएं चलाई जानी चाहिए।
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हालांकि, जेपीसी की बैठक में शामिल कुछ मुस्लिम संगठनों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए प्रस्तावित कानून का विरोध भी किया। इन मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड उनकी आस्था का विषय लगता है।
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