शकुन्तला देवी का जन्म कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक सर्कस कलाकार थे, जो जादू दिखाते और शेरों के साथ सर्कस में प्रदर्शन करते थे। जब वह तीन वर्ष की थीं, तब वह अपने पिता के साथ ताश पत्ते खेल रही थीं, तभी उनके पिता ने शकुन्तला की सूझ-बूझ और चतुराई देखी। पिता ने शकुन्तला के गणित के हुनर को पहचान और उनके छोटे-छोटे शो करने लगे। सभी लोग यह देखकर आश्चर्यचकित हो गए कि एक छोटी सी बच्ची गणित की कोई भी समस्या बड़ी आसानी से हल कर रही है।
6 वर्ष की आयु में, शकुन्तला ने मैसूर विश्वविद्यालय में एक गणित प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। जब वह 10 वर्ष की थीं, तब उन्होंने एक कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला लिया था, लेकिन दाखिला लेने के 3 महीने के भीतर ही उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया, क्योंकि उनके माता-पिता स्कूल की फीस देने में असमर्थ थे। उनके जीवन की एक दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने किसी संस्थान से कोई भी औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की है। इसके बावजूद वह गणित में काफी होशियार थीं। वर्ष 1940 में, वह अपने पिता के साथ लंदन चली गईं। वर्ष 1960 में भारत लौट आईं और परितोष बनर्जी के साथ विवाह किया, जो कोलकाता में आईएएस अधिकारी थे। इसके बाद वर्ष 1979 में उनका तलाक हो गया था।
वर्ष 1950 में शकुन्तला देवी ने अपनी अंकगणितीय प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए यूरोप का दौरा किया और वर्ष 1976 में उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में अपनी प्रतिभा दिखाई। वर्ष 1988 में, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में मनोविज्ञान के प्रोफेसर आर्थर जेन्सेन द्वारा शकुन्तला की क्षमताओं का अध्ययन किया गया। जहां जेन्सेन ने बड़ी संख्या की गणना सहित उनके सभी कई कार्यों के प्रदर्शन का परीक्षण किया। जेन्सेन ने बताया कि शकुन्तला देवी ने विभिन्न समस्याओं को सरल ढंग से समाधान किया था। वर्ष 1990 में, जेन्सेन ने अकादमिक जर्नल इंटेलिजेंस में शकुन्तला के निष्कर्षों को प्रकाशित किया, जिसे उन्होंने बड़ी आसानी से हल किया था।
वर्ष 1977 में, उन्होंने साउथर्न मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय में 50 सेकंड में 201 अंकों की संख्या को हल कर 23 वर्गमूल उत्तर निकाला था।18 जून 1980 को, उन्होंने दो 13 अंकों की संख्या-7,686,369,774,870 × 2,465,099,745,779 से गुणा किया- जिसे इंपीरियल कॉलेज, लंदन के कंप्यूटर विभाग से लिया गया था। जिसका उन्होंने बड़ी सरलता से 28 सेकंड में 18,947,668,177,995,426,462,773,730 का सही उत्तर दे दिया था और इस घटना को 1982 गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था। वर्ष 1977 में, उन्होंने भारत में समलैंगिकता का अध्ययन करते हुए, “The World of Homosexuals” पुस्तक लिखी। उन्होंने एक लेखक के रूप में ज्योतिषी, कुकबुक और उपन्यासों सहित कई पुस्तकें लिखी।श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध मुखर हुईं थीं और चुना भी लड़ा था। श्रीयुत नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी जो सच साबित हुई।
21 अप्रैल 2013 को, वह सांस व किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गईं और वह अनंत यात्रा पर चली गईं। 4 नवंबर 2013 को, शकुन्तला देवी के 84 वें जन्मदिन पर गूगल द्वारा एक “गूगल डूडल” जारी किया गया। “शकुन्तला देवी गूगल डूडल”। शकुन्तला देवी को अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए। वर्ष 1969 में, शकुंतला देवी को फिलीपींस विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ’ Distinguished Woman of the Year Award’ से सम्मानित किया गया। वर्ष 1988 में, उन्हें वाशिंगटन डी.सी. में ‘रामानुजन गणितीय जीनियस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया, जिसे अमेरिका के तत्कालीन भारतीय राजदूत द्वारा दिया गया था।उनका नाम ‘1995 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ के संस्करण में उत्कृष्ट गणितीय कार्यों के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जहां उन्होंने दो सौ तेरह अंकों की संख्या को गुणा करने के लिए दुनिया के सबसे तेज़ कंप्यूटर को हराया था।भारत की ऐंसी महान् विदुषी श्रीमती शकुन्तला देवी की जयंती पर शत् शत् नमन है।
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