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Mizoram के मुख्यमंत्री ने America में दिया India को बांटने की साजिश का संकेत, CIA पर क्यों गई विशेषज्ञों की नजर

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WEB DESK

मुख्यमंत्री लालदुहोमा के भाषण ने अलगाववादी एजेंडा चला रहीं ताकतों की तरफ संकेत किया है। अगर इन ताकतों की साजिश ऐसी ही चलती रही तो यह दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकता है। मुख्यमंत्री के वक्तव्य में विदेशी तत्व के शामिल होने का संकेत है, उसे लेकर भारत के रक्षा विशेषज्ञ हैरान हैं। क्या यह भारत की अखंडता और एकजुटता को खतरे की तरफ इशारा है?


भारत के उत्तर—पूर्वी राज्य मिजोरम के मुख्यमंत्री ने अपने एक बयान से भूचाल ला दिया है। उनके बयान से यही मर्म निकल रहा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए भारत के उत्तर पूर्व की कुछ जनजातियों को ‘जोड़ने’ के लिए भारत सहित बांग्लादेश और म्यांमार के टुकड़े करने को बेताब है! जनजातीय समुदाय कुकी, चिन तथा मिजो मुख्यत: भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से सहित बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी तथा म्यांमार के कुछ हिस्सों में रह रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में बसे ये तीनों जनजा​तीय समुदाय ईसाई हैं और एक सी रस्मों को मानते हैं। इन्हें लेकर पृथकतावादी तत्व अलगाववादी भावनाएं भड़काते रहे हैं।

इनके संदर्भ में मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने अपनी पिछली अमेरिका यात्रा के दौरान ऐसी बात कह दी कि अब उसको लेकर बेचैनी बढ़ रही है। लालदुहोमा गत माह अमेरिका की इंडियानापोलिस स्टेट में थे। वहां एक कार्यक्रम में अपने भाषण में उन्होंने कहा कि कुकी, चिन और जो जनजातियां एकजुट रहें, क्योंकि कुछ ताकतों ने उनको बांटने की कोशिश की है।

लालदुहोमा के वक्तव्य ने भारत ही नहीं, बांग्लादेश और म्यांमार में भी खलबली मचाई है। लालदुहोमा की बात से सवाल उठा है कि कहीं अमेरिका की गुप्तचर संस्था सीआईए भारत, म्यांमार और बांग्‍लादेश को काटने की कोशिश तो नहीं कर रही है। कहीं उसकी मंशा इन तीनों देशों के इन जनजातियों की बहुलता वाले इलाकों को जोड़कर एक अलग ईसाई देश बनाने की तो नहीं है? मिजोरम के मुख्यमंत्री ने यह बात अमेरिका में बोली है, इसलिए इसके मायने बढ़ गए हैं।

मुख्यमंत्री लालदुहोमा के भाषण ने अलगाववादी एजेंडा चला रहीं ताकतों की तरफ संकेत किया है। अगर इन ताकतों की साजिश ऐसी ही चलती रही तो यह दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकता है। मुख्यमंत्री के वक्तव्य में विदेशी तत्व के शामिल होने का संकेत है, उसे लेकर भारत के रक्षा विशेषज्ञ हैरान हैं। क्या यह भारत की अखंडता और एकजुटता को खतरे की तरफ इशारा है?

अपने इस भाषण में एकजुटता का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘हम एक हैं, आपस में भाई—बहन हैं। हम दो फाड़ होने को तैयार नहीं हैं। भगवान ने हमें एक बनाया और हम ‘एक राष्ट्रीयता को प्राप्त’ करने के लिए एक की ही अगुआई में आगे बढ़ेंगे। भले किसी देश की अपनी सीमाएं हों, लेकिन एक ‘असल देश’ उन सीमाओं से बेपरवाह रहता है।’ इसके आगे की ईसाई मुख्यमंत्री की बात और भी हैरान करने वाली थी। उन्होंने कहा कि ‘हमें तीन देशों की सरकारों में बांटा हुआ है जो न्याय नहीं है। हम इसे मान नहीं सकते हैं।’

मिजोरम के मुख्यमंत्री इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने ‘एक सी सांस्कृतिक और पांथिक पहचान’ का उल्लेख करते हुए कहा कि कुकी, चिन और जो समुदायों को यह ऐतिहासिक​ हक है कि किसी राष्ट्र की सीमओं से परे अपने ‘एक राष्ट्र’ होने का दावा कर सकें। उनके अनुसार, इधर हाल के कुछ साल में कुकी, चिन और जो समुदाय अपने को अलग—थलग महसूस कर रहे हैं।

यहां बता दें कि ये तीनों समुदाय भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों मणिपुर तथा मिजोरम के अलावा म्यांमार और बांग्लादेश के क्षेत्रों में बिखरे हुए हैं। इनका दावा है कि ‘भाषा, संस्कृति तथा पंथ में सब समान हैं। इसलिए वे भले किसी भी देश की सीमाओं के भीतर हों, आपस में एक हैं।’ विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि तो क्या इसके मायने ये हैं कि एक अलग देश की मांग को हवा दी जाए? यह पृथकतावादी भावना अगर भारत के किसी राज्य का मुख्यमंत्री फैलाए तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

विशेषज्ञों को बहुत पहले से यह शक रहा है कि कुछ विदेशी ताकतें अपने रणनीतिक एजेंडे पर चलते हुए इन तीन सटे देशों में अलगाव की हवा फैलाती रही हैं। इतना ही नहीं, बांग्लादेश की निवर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी तख्तापलट से कुछ वक्त पहले, अमेरिका की ओर उंगली उठाते हुए कहा था कि ‘बांग्लादेश, भारत तथा म्यांमार के कई सटे इलाकों को मिलाकर नया ‘ईसाई देश’ बनाने की साजिश रची जा रही है। तब हसीना के उस वक्तव्य पर काफी चर्चा चली थी। लेकिन अब मिजोरम के मुख्यमंत्री ने तो खुलकर इस एजेंडे का खुलाया किया है। यह बेशक चिंता की बात है। इस क्षेत्र में सीआईए की कैसी भी दखल स्वीकार्य नहीं हो सकती है।

मिजोरम वैसे भी ईसाई बहुल राज्य है जहां ईसाई ताकतों को खुलकर भारत विरोधी भाव फैलाने की चर्च ने राजनीतिक शह के तहत खुली छूट दी हुई है। मुख्यमंत्री लालदुहोमा का अमेरिका जाकर ऐसी बातें करना भारत के लिए विशेष चिंता का विषय है। पहले हसीना का खबरदार करने वाला बयान और अब इंडियानापोलिस में लालदुहोमा का साजिश का संकेत देता भाषण, दोनों के तार एक बड़े षड्यंत्र की तरफ संकेत करते हैं।

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