केदारनाथ, बाबा केदारनाथ ज्योतिर्लिंग धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज सुबह विधि विधान से बंद कर दिए गए। यमुनोत्री धाम के कपाट भी आज बंद हो गए हैं। श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद हो जाएंगे।
आज सुबह सेना के बैंड वादक केदारपुरी परिसर में भजन धुनों पर श्रद्धालुओं के बीच भक्ति मय समां बांधे रहे, केदारनाथ गर्भ गृह के कपाट सुबह की आरती और पूजा अर्चना संपन्न होने के साथ ही प्रातः 8.30 पर बंद कर दिए गए। बाबा की पंचमुखी विग्रह डोली उखीमठ के लिए हर हर महादेव और जय बाबा केदार के जयघोष के साथ रवाना हुई आगे आगे आर्मी बैंड वादक अपने संगीत के साथ बाबा की डोली को सम्मान पूर्वक चलते रहे।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु, तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज के लोग भावुक अंदाज में बाबा की डोली के साथ-साथ आगे बढ़ते रहे। आज ये डोली गुप्तकाशी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में विश्राम करेगी, कल ये ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान रहेगी। शीतकाल में यही बाबा की प्रतीकात्मक पूजा की परंपरा रही है। बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेंद्र अजय ने कहा है कि बाबा केदार की कृपा सब पर बनी रहे इस कामना के साथ पूजन करते हुए बाबा के द्वार बंद किए गए।
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जमुना मैय्या की भी हुई विधि विधान से पूजा
यमुनोत्री में आज सुबह पूजा अर्चना के बाद कपाट दिन में 12 बजे बंद हो जाएंगे यमुनोत्री धाम में मां जमुना जी का उद्गम स्थल है और यहां शीतकाल के दौरान कोई नहीं रहता। यदि को तपस्वी रहना चाहता है तो उसे प्रशासन से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है। यहां भारी हिमपात होता और तापमान माइनस में रहता है।
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