पंजाब । पराली को लेकर पंजाब सरकार खूबब भागदौड़ करने का दिखावा तो कर रही है परन्तु परिणाम ढाक के वही तीन पात वाले सामने आरहे लगते हैं। वीरवार व शुक्रवार को दीवाली पर आतिशबाजी की आड़ में किसानों ने खूब पराली जलाई और राज्य के कई शहरों को जहरीली गैस के चैम्बर में बदल कर रख दिया।
वीरवार व शुक्रवार को दीपावली को पटाखे चलाने और इसकी आड़ में पराली को आग लगाने के कारण अमृतसर, जालंधर और लुधियाना का वायु गुणवत्ता सूचकांक एक समय 500 तक पहुंच गया। इस हवा में अगर स्वस्थ व्यक्ति भी सांस लेता है तो उसके लिए खतरनाक स्थिति हो सकती है। बता दें कि राज्य में वीरवार के बाद शुक्रवार को भी कई शहरों में कुछ लोगों की ओर से दीपावली मनाई गई, ऐसे में एक्यूआइ और बढऩे की आशंका है। वहीं, वीरवार, शुक्रवार को पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
राज्य में पराली जलाने के वीरवार को 484 और शुक्रवार को 587 मामले सामने आए, जोकि इस सीजन में एक दिन में पराली जलने के सबसे ज्यादा मामले हैं। राज्य में पराली जलाने के अब तक 3,537 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि दो दिन में ही इसमें 30 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य में धान की कटाई 15 सितंबर से शुरू हुई है और तीस अक्टूबर तक 46 दिन में राज्य में पराली जलाने के कुल 2,466 केस सामने आए थे और दो दिन में ही 1071 नए केस सामने आ गए।
पंजाब में पराली जलाने के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई गई। इसके बाद पंजाब सरकार व पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पराली जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है, इसके बावजूद किसान पराली को लगातार आग लगा रहे हैं। इससे कई जिलों में एक्यूआइ बेहद खराब स्थिति में पहुंच गया है। राज्य में अब तक पराली जलाने के मामलों में 26,87,500 जुर्माना किया है। इसमें से 25,27,500 रुपये जुर्माना वसूला गया है। 1,588 खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की जा चुकी हैं।
हालांकि, पराली जलाने के मामले पिछले वर्षों के मुकाबले काफी कम हैं। एक नवंबर 2022 में पराली जलाने के 17,846, 2023 में 9,594 व 2024 में 3,537 केस आए हैं। इतनी भागदौड़ के बावजूद भी परिणाम आशा अनुरूप नहीं आ रहे दिखते हैं।
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