ढाका, (हि.स.)। इस्कॉन बांग्लादेश ने इस्कॉन के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रामक और बेबुनियाद आरोपों का खंडन किया है। इस्कॉन ने शनिवार को कहा कि उनका संगठन हमेशा से ही मानवता, धर्म, शांति और सांस्कृतिक उत्थान के लिए कार्यरत है और उस पर लगाए गए आरोपों का सत्य से कोई संबंध नहीं है।
इस्कॉन बांग्लादेश ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस की और इसके बाद एक विज्ञप्ति जारी की। इसमें इस्कॉन बांग्लादेश के वरिष्ठ नेता चक्रपाणि दास ब्रह्मचारी ने कहा कि कुछ समाचार पत्रों और मीडिया के माध्यम से इस्कॉन पर कई झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये आरोप केवल इस्कॉन की छवि को धूमिल करने और समाज में अशांति फैलाने के उद्देश्य से फैलाए जा रहे हैं। उन्होंने इस्कॉन के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रामक और बेबुनियाद आरोपों का खंडन किया है।
इस्कॉन का कहना है कि उनका संगठन हमेशा से ही धार्मिक सहिष्णुता, राष्ट्र की एकता और समाज के हर वर्ग में मानवता का प्रचार-प्रसार करता आया है। उन्होंने जनता और संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि वे इन झूठी अफवाहों पर विश्वास न करें और इसके बजाय इस्कॉन के वास्तविक कार्यों और उद्देश्यों को समझें।
बांग्लादेश सरकार से अपील
इसके साथ ही इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस प्रकार की झूठी और भ्रामक खबरों के प्रचार पर कड़ी निगरानी रखें। संगठन ने इस तरह के प्रचार से जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी की है ताकि इस्कॉन और उसके अनुयायियों की धार्मिक स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा की जा सके। चक्रपाणि दास ब्रह्मचारी ने सभी इस्कॉन भक्तों से शांति बनाए रखने और संगठन के उद्देश्यों के प्रति विश्वास बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोपों का इस्कॉन के कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और संगठन अपने धार्मिक और सामाजिक कार्यों को पूरी निष्ठा के साथ जारी रखेगा।
महमूदुर रहमान ने की थी मांग
गौरतलब है कि बांग्लादेश में कृष्ण भक्त संस्थान इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी थी। बांग्लादेश के प्रमुख समाचारपत्रों में से एक ‘अमर देश’ के संपादक महमूदुर रहमान इस बात से नाराज हैं कि आखिर क्यों इस्कॉन हिंदुओं पर हो रहे हमलों को उठा रहा है। रहमान ने सार्वजनिक रूप से देश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। रहमान का वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। लोग इस मांग को लेकर भी गुस्से में हैं।
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