झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ के मुद्दे को जोर—शोर से उठा रही है। लोग भी मान रहे हैं कि यदि घुसपैठ इसी तरह जारी रही तो आने वाला समय न तो झारखंड राज्य के लिए ठीक रहेगा और न ही यहां के हिंदुओं के लिए।
झारखंड में चुनावी चौसर बिछ चुका है। यहां 13 और 20 नवंबर को चुनाव होंगे। दोनों ही प्रमुख गठबंधन के नेता चुनाव प्रचार में पसीना बहा रहे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग में भाजपा, आजसू, जदयू और लोजपा शामिल हैं। भाजपा 68, आजसू 10, जदयू 2 और लोजपा 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है। वहीं इंडी गठबंधन में झामुमो, कांग्रेस और राजद शामिल हैं। झामुमो ने 43, कांग्रेस ने 30 और राजद ने 7 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के.रवि के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पहले चरण में कुल 805 उम्मीदवारों की ओर से 1609 सेट में पर्चा दाखिल किया गया था। जांच के बाद 743 उम्मीदवारों का परिचय सही पाया गया, जिनमें 58 उम्मीदवारों ने पर्चा वापस ले लिया और अब कल 685 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गए हैं।
नहीं पूरे किए वादे
2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले झामुमो ने राज्य के लोगों से 400 से अधिक वादे किए थे। झामुमो ने वादा किया था कि झारखंड में हर वर्ष 5 लाख नौकरियां दी जाएंगी। इसके साथ ही बेरोजगार युवाओं को ₹5000 से ₹7000 तक बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही गई थी। इस कारण लोगों ने झामुमो और उसके सहयोगियों के पक्ष में मतदान किया। फलस्वरूप हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने। सत्ता मिलते ही हेमंत सोरेन अपने वादों को भूल गए। अब हकीकत यह है कि पिछले 5 वर्ष में न तो किसी को नौकरी मिली और न ही किसी को बेरोजगारी भत्ता मिला। सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई तो उनके पेपर लीक हो गए। यानी हेमंत सरकार अपने वादों पर खरे नहीं उतर पाई। इस कारण लोगों में, विशेषकर बेरोजगार युवाओं में उसके प्रति गुस्सा है।
राज्य में बढ़ता भ्रष्टाचार
राज्य में भ्रष्टाचार चपम पर है। किसी भी सरकारी संस्थान में रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता है। बालू, कोयला, लोहा सहित कई ऐसे संसाधन हैं, जिनकी खुलेआम तस्करी हो रही है। बालू की महंगाई के कारण राज्य भर में कई विकास कार्य अवरुद्ध दिखाई दे रहे हैं।
अपराध में अप्रत्याशित बढ़ोतरी
राज्य में अपराध में बेतहाशा बढ़ोतरी और प्रशासनिक विफलता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। पिछले 5 वर्ष में 7,400 से अधिक महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाएं हुई हैं। जब—तब नक्सली भी अपनी हरकतों का अहसास कराते रहते हैं। इस सरकार से पहले नक्सली घटनाएं कम हुई थीं।
बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ
इस बार झारखंड के चुनाव में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों का भी मुद्दा जोर—शोर से उठ रहा है। आम जनता से लेकर न्यायालय तक बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इसके बावजूद हेमंत सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यही कारण है कि भाजपा इस मुद्दे को जोर—शोर से उठा रही है। उसका कहना है कि राज्य में, विशेषकर संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों का बोलबाला हो गया है। ये घुसपैठिए जमीन जिहाद से लेकर लव जिहाद तक में शामिल हैं। इससे जनजाति समुदाय ही सबसे ज्यादा परेशान है। कई जनजातियों का अस्तित्व ही संकट में है। घुसपैठियों ने इस समाज को बुरी तरह प्रभावित किया है।
रामगढ़ के रहने वाले जनमेजय प्रताप का कहना है कि पिछली भाजपा सरकार ने महिलाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए उनके नाम पर जमीन रजिस्ट्री मात्र ₹1 में हो जाया करती थी लेकिन हेमंत सरकार ने उसे बंद कर दिया। दूसरी तरफ ऐसे कई उद्योग बंद हो गए जिनकी वजह से हजारों लोग बेरोजगार हो गए। पिछली सरकार ने स्थानीय नीति भी तय की थी, ताकि झारखंड के लोगों को रोजगार मिलने में समस्या न हो, लेकिन यह भी हेमंत सोरेन की सरकार को अच्छा नहीं लगा और उसे समाप्त कर दिया।
मांडू विधानसभा के कहुआबेड़ा गांव के रहने वाले कार्तिक मांझी भी कहते हैं कि उनके क्षेत्र के कई युवा बेरोजगारी की वजह से पलायन को मजबूर हैं। किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए घूस देना अनिवार्य है।
कुल मिलाकर झारखंड में हेमंत सोरेन के खिलाफ बेहद नाराजगी का माहौल देखा जा रहा है। अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी इस माहौल को अपने पक्ष में कितना कर पाती है।
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