गत 19 अक्तूबर को मैसूरू (कर्नाटक) में अशोदया समिति ने देह व्यापार से जुड़ीं दलित बहनों का एक सम्मेलन आयोजित किया। इसमें लगभग 800 महिलाओं ने भाग लिया। इसका उद्देश्य था इन बहनों की समस्याओं को समझना और उनके अधिकारों के लिए काम करना। सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाणा ने की। इस अवसर पर अशोदया समिति की कार्यक्रम निदेशक लक्ष्मी और सलाहकार डॉ. सुंदर सुंदरारामन भी उपस्थित रहे।
सम्मेलन में बताया गया कि इन बहनों के पास आवश्यक दस्तावेजों की कमी है। अनेक महिलाओं के पास आधार कार्ड होने के बावजूद, राशन कार्ड, हेल्थ कार्ड, इंश्योरेंस, आयुष्मान भारत या गृहलक्ष्मी योजना के दस्तावेज नहीं हैं। इस कारण इन लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। यह भी कहा गया कि सरकारी अस्पतालों से दवाइयां प्राप्त करने के बावजूद एच.आई.वी. के साथ जीवन-यापन करना महंगा पड़ रहा है। इससे वे लगातार आर्थिक तंगी में रहती हैं। सम्मेलन में इन बहनों के बच्चों की शिक्षा का मुद्दा भी उठा। बहनों ने कहा कि उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन छात्रावास और अन्य शैक्षणिक खर्चे भारी पड़ रहे हैं। कई महिलाएं उम्रदराज हो गई हैं। उनकी आजीविका के लिए व्यावसायिक कौशल को विकसित करना आवश्यक है। इन बहनों ने यह भी बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद उन्हें पुलिस के रवैये से डर लगता है।
सम्मेलन में किशोर मकवाणा ने कहा कि भारत सरकार ने महिलाओं और दलितों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का लाभ सभी महिलाओं को दिलाने की पूरी कोशिश हो रही है। उन्होंने महिलाओं को आश्वस्त किया कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए गंभीरता से प्रयास करेगा। ‘सिंगल विंडो सुविधा डेस्क’ स्थापित की जाएगी, जहां सरकारी अधिकारी सप्ताह में तीन दिन आएंगे और आवश्यक दस्तावेजों तथा सेवाओं को प्राप्त कराने में महिलाओं की मदद करेंगे। इसके अलावा, कौशल प्रशिक्षण और उद्यमिता विकास के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, जिससे महिलाएं अपनी आजीविका के लिए वैकल्पिक साधन विकसित कर सकें।
इन महिलाओं की समस्याओं को अच्छी तरह से जानने के लिए मकवाणा उनके मुहल्लों में भी गए। वहां उन्होंने उनकी दयनीय दशा को देखा। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए मकवाणा ने जिलाधिकारी से मुलाकात की और उन्हें आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने अशोदया समिति और जिलाधिकारी कार्यालय के बीच समन्वय स्थापित करने पर भी जोर दिया।
क्या है अशोदया समिति
2004 में स्थापित अशोदया समिति को देह व्यापार में लगी महिलाएं चलाती हैं। यह संगठन मैसूरू, मंड्या, कोडागु और चिकमेगलूर जिलों में देह व्यापार में शामिल लगभग सवा लाख महिलाओं के लिए कार्य करता है। ये महिलाएं छोटे गांवों से आती हैं और मुख्य शहरों में काम करती हैं। हर गांव में स्थानीय कार्यकर्ता होते हैं, जो महिलाओं के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं। अशोदया समिति सरकारी अस्पतालों के माध्यम से एच.आई.वी. से पीड़ित महिलाओं का उपचार कराती है और उनकी देखभाल करती है। इसके साथ ही वह एच.आई.वी. की रोकथाम के लिए काम करती है। पिछले दो दशक में इसने एच.आई.वी. दर को 25 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत से भी कम पर ला दिया है।
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