केरल विधानसभा में बीजेपी का फिलहाल कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। पलक्कड़ और चेलक्कारा दो विधानसभा उपचुनावों में बीजेपी केरल विधानसभा में अपना खाता खोलने के लिए पूरी तरह तैयार है। बीजेपी ने 2024 में त्रिशूर लोकसभा सीट जीतकर केरल से लोकसभा में अपना खाता खोला था।
केरल भाजपा के लिए सबसे कमजोर राज्यों में से एक था। भाजपा लंबे समय से राज्य में न तो लोकसभा और न ही विधानसभा में अपना खाता खोल पाई थी। इसका कारण केरल में माकपा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच द्वि-ध्रुवीय राजनीति थी। तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट पर बीजेपी की मजबूत उपस्थिति थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा यह सीट लगभग 15000 वोटों के मामूली अंतर से हार गई थी। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी इस सीट पर मजबूत दावेदार रही थी। 2016 के राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार नेमोम विधानसभा सीट जीती थी। 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा मामूली वोटो के अंतर से यह सीट हार गई।
इस बार दो विधानसभा उपचुनावों पर भाजपा अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए पूरी तरह तैयार है और बीजेपी दोनों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करती दिख रही हैं। भाजपा 2021 के विधानसभा चुनाव में पलक्कड़ विधानसभा सीट 3859 वोटों के मामूली अंतर से हार गई थी। पलक्कड़ विधानसभा सीट पर भाजपा 2016 के विधानसभा चुनाव में भी उपविजेता रही थी।
केरल की वर्तमान राजनीतिक समीकरणों के चलते भाजपा पलक्कड़ विधानसभा सीट जीतने के मुहाने पर खड़ी है। भाजपा 2016 और 2021 के विधानसभा चुनाववो में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार शफी परम्बिल से चुनाव हारी थी। शफी परम्बिल 2024 में वटकारा लोकसभा सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी की हिस्सेदारी कमजोर हो गई है क्योंकि कांग्रेस पार्टी के तीन बार के विधायक शफी परम्बिल लोकसभा के लिए चुने गए हैं और एलडीएफ इस सीट पर बेहद ही कमजोर है। एलडीएफ इस सीट पर केवल सांकेतिक लड़ाई लड़ रहा है, क्योंकि इस सीट पर मुकाबला कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच ही है।
केरल में एक नई राजनीतिक संस्कृति विकसित हुई है, जिसमें लोकसभा में यूडीएफ की हिस्सेदारी मजबूत है जबकि विधानसभा चुनाव में एलडीएफ को मौका मिल रहा है। इसलिए विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी की हिस्सेदारी पहले से ही कमजोर हो गई है और राहुल गांधी द्वारा वायनाड लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर रायबरेली से अपनी सदस्यता रखने के कारण कांग्रेस पार्टी के मतदाता पहले से ही निराश हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार ने चुनावी कार्यक्रम का फायदा उठाया। वायनाड में दूसरे चरण में मतदान हुआ, जबकि रायबरेली में 5वें चरण में वायनाड में मतदान के बाद रायबरेली की सीट के लिए अधिसूचना जारी हुई थी। वायनाड में दूसरे चरण के मतदान से पहले तक राहुल गांधी ने किसी अन्य सीट अमेठी हो या रायबरेली से चुनाव लड़ने के अपने इरादे को छुपा कर रखा था।
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इन करने से भाजपा पलक्कड़ विधानसभा सीट जीतने और केरल विधानसभा में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पलक्कड़ विधानसभा सीट पर बीजेपी कांग्रेस पार्टी के बाद दूसरे स्थान पर रही थी। चेलक्कारा विधानसभा सीट पर मौजूदा माकपा विधायक के. राधाकृष्णन अलाथुर लोकसभा सीट से लोकसभा के लिए चुने गए हैं। इस सीट पर भाजपा माकपा को कड़ी टक्कर दे रही है। कांग्रेस पार्टी इस सीट पर केवल सांकेतिक मुकाबले में ही है।
केरल में 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के राज्य की राजनीति में प्रवेश के बाद से राज्य की राजनीति में कांग्रेस पार्टी पिछले पायदान पर है। कांग्रेस पार्टी 2021 में केरल में सत्ता में वापसी नहीं कर पाई और 1982 के केरल विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी का अबतक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। 2021 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ और यूडीएफ के बीच 1982 के विधानसभा चुनाव के बाद से केरल में शासन बदलने की परंपरा भी टूट गई और एलडीएफ ने वापसी की। इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी ने केरल विधानसभा चुनाव में कोई मजबूत लड़ाई भी नहीं लड़ी सकी।
कांग्रेस पार्टी ने यूडीएफ गठबंधन के तहत 93 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 21 सीटें जीतीं, जबकि इसके कनिष्ट गठबंधन सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 25 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और 15 सीटें जीतीं। यहां तक कि यूडीएफ के भीतर भी कांग्रेस पार्टी का आईयूएमएल से कड़ा मुकाबला होना कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। इसलिए राहुल गांधी के विश्वासघात और केरल में कांग्रेस पार्टी की विधानसभा में बुरी हार को देखते हुए भाजपा कांग्रेस पार्टी की जगह लेने जा रही है और इस प्रक्रिया की शुरुआत इन दो सीटों के विधानसभा के उपचुनावों से शुरू होगी। भाजपा अब केरल की राजनीति में कांग्रेस नीत यूडीएफ के जगह लेने की शुरुआत करने जा रही हैं।
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