भारतीय सेना यूनिट और रेजिमेंट स्तर पर सभी धर्मों का सच्चा सूक्ष्म जगत है। भारतीय सेना सीमाओं, नियंत्रण रेखा (एलसी), वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), द्वीपों में और भीतरी इलाकों में तैनात है। भारतीय सेना में सभी त्योहार मनाए जाते हैं परन्तु रोशनी का त्योहार दीपावली भारतीय सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने में विशेष महत्व रखता है।
दीपावली मूलतः विजय का उत्सव है। दीपावली आसुरी प्रवृत्ति के प्रतीक रावण को हराने के बाद भगवान राम की अयोध्या में विजयी वापसी का उल्लास मनाती है। एक पेशेवर सेना के लिए, दुश्मन पर जीत सबसे महत्वपूर्ण अस्तित्वगत पैरामीटर है। इसलिए, भारतीय सेना जिसने हर समय विजयी रहने की कसम खाई है, दीपावली को अधिकतम उत्साह के साथ मनाती है। लेकिन यह त्योहार भारतीय सेना को गंभीर प्रशिक्षण और कड़ी मेहनत की एक श्रृंखला के बाद युद्ध के लिए तैयार होने के लिए भी प्रेरित करता है।
मोटे तौर पर, भारतीय सेना को फील्ड स्टेशनों में तैनात किया जाता है, जो सीमाओं और सीमावर्ती स्थानों पर होते हैं, चाहे वह मैदान, रेगिस्तान, पहाड़, जंगल या द्वीप हों। यहां इन फील्ड स्टेशनों में, सैनिक अकेले रहते हैं और उनके परिवारों को यहां रहने की अनुमति नहीं होती है। फील्ड स्टेशनों में, सेना हर समय युद्ध के लिए तैयार रहती है। शेष सेना देश के भीतरी क्षेत्र यानि सैन्य स्टेशनों और छावनियों में रहती है। इन स्टेशनों में, सेना प्रशिक्षण लेती है और युद्ध की तैयारी करती है। हथियारों, गोलाबारूद, उपकरण, वाहन और सभी प्रकार की अवसंरचना का रख-रखाव, कमी आदि पूरा करना और उनकी युद्ध योग्यता का निरीक्षण किया जाता है। चूंकि दीपावली अक्तूबर/नवम्बर के महीने में मनाई जाती है, इसलिए सैन्य टुकड़ियों और सैनिकों को जनवरी के महीने से ही ऐसी तैयारी और जमीनी कार्य से गुजरना पड़ता है। लगभग दस महीने की कड़ी मेहनत और यथार्थवादी प्रशिक्षण के बाद, भारतीय सेना युद्ध तत्परता के अपने चरम पर दीपावली के समय पहुंचती है। सियाचिन ग्लेशियर की बर्फीली ऊंचाइयों पर या चेन्नई जैसे मेट्रो शहर में भारतीय सैनिकों द्वारा दीपावली का जश्न जीत के लिए अपनी प्रतिबद्धता की एक खुशी है।
फील्ड स्टेशनों में तैनात सैनिकों के लिए मुख्य ध्यान अपने बंकरों और फील्ड किलेबंदी को साफ रखना है। शांति स्टेशनों में, निवास स्थान के रखरखाव और सफाई, सभी प्रकार के आवास, रसद सुविधाओं और अस्पतालों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। शांति स्टेशनों में इमारतों की रोशनी शांत और सैनिक की तरह है। सैन्य स्टेशनों में, दीपावली मेला दीपावली से एक सप्ताह पहले आयोजित किया जाता है, ताकि यह आयोजन दीपावली से पहले धार्मिक अनुष्ठानों में खलल न डाले। दीपावली मेला एक दिन का कार्यक्रम होता है, जहां सेना की इकाइयां दीपावली के अपने स्टाल लगाती हैं, चाहे वह दीया, मोमबत्तियां, सजावट की वस्तुएं या खान पान की व्यवयस्था हो । इस किस्म के आयोजन सभी धर्मों के सैनिकों के बीच सौहार्द बनाते हैं । शाम को, एक आतिशबाजी प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है जो सैनिकों और उनके परिवारों को रोमांचित करता है।
सेना में, अधिकारी कैडर सभी समारोहों में सैनिकों में शामिल होता है। दीपावली के दौरान, अधिकारी और वरिष्ठ नेतृत्व अलग-थलग पड़ी चौकियों का दौरा करते हैं और सैनिकों के लिए मिठाइयां ले जाते हैं। सेना का नेतृत्व अपने सैनिकों की भावनाओं के प्रति सचेत है और उनके साथ विस्तारित परिवार के हिस्से के रूप में दीपावली मनाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 से ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों के साथ दीपावली मनाने की इस खूबसूरत परंपरा की शुरुआत की थी। यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि इस वर्ष रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख अग्रिम स्थानों पर सैनिकों के साथ दीपावली मना रहे हैं। मेरे पास व्यक्तिगत रूप से अपने सैन्य करियर के दौरान अग्रिम स्थानों और अलग-थलग चौकियों पर सैनिकों के साथ दीपावली मनाने की बहुत सुखद यादें हैं।
दीपावली की सुंदरता यह है कि यह सभी सैनिकों को एकजुट करती है। चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में पीछे हटना भारतीय सैनिक की देश को दीपावली पर अपनी एक छोटी भेंट है। दीपावली की भावना सैनिकों के कठिन जीवन में नई जान फूंकती है और हमारे सैनिकों के लिए बहुत खुशी और राहत लाती है। रेजिमेंट या बटालियन एक सुव्यवस्थित इकाई बन जाती है जो राष्ट्र की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए मौजूदा और उभरती चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह सक्षम बनती हैं । देशवासियों को शुभ दीपावली और भारतीय सेना के सभी जवानों को मेरी ओर से दीपावली की विशेष शुभकामनाएं। जय हिंद। जय भारत।
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