देहरादून । गढ़वाल के आयुक्त विनय शंकर पांडेय द्वारा दिवाली के दौरान पटाखों के शोर से पशुओं को होने वाली परेशानी को लेकर चेतावनी जारी की गई, जिसमें कहा गया कि कोई भी व्यक्ति पशुओं को नुकसान पहुंचाने पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना कर सकता है। इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों और आयुक्त पांडेय के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। संगठनों ने इस निर्देश की आलोचना करते हुए सवाल उठाए हैं कि आखिर क्यों केवल दिवाली के मौके पर ही ऐसे आदेश दिए जाते हैं, जबकि बकरा ईद पर इस तरह का कोई निर्देश जारी नहीं किया जाता।
हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों का तर्क है कि दिवाली पर पटाखों से पशुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाना एक पक्षपातपूर्ण रवैया है, क्योंकि बकरा ईद के दौरान बड़ी संख्या में पशुओं का वध होता है। इन संगठनों का कहना है कि “हिंदू धर्म में पशु प्रेम की परंपरा बहुत पुरानी है, और कोई भी सच्चा हिंदू पशुओं को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता।”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
हिंदूवादी संगठनों ने इस आदेश के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान शुरू किया। हिंदू नेता अमित शर्मा ने लिखा, “यह उत्तराखंड के हिंदुओं के लिए शर्म की बात है। दिवाली पर हिंदू समुदाय हमेशा से प्रेमपूर्वक अपना पर्व मनाता आया है। आयुक्त जी को बकरा ईद पर भी इसी तरह के निर्देश जारी करने चाहिए।” वहीं, एक अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ता हिमांशु अग्रवाल ने सवाल किया कि “अगर पटाखों से बचाव का कोई कदम न उठाया गया और नगर निगम की लापरवाही से कोई आवारा पशु पटाखों के बीच आ गया तो कार्रवाई किस पर होगी?”
कई अन्य लोगों ने भी इसी प्रकार के सवाल उठाए और इसे धार्मिक भेदभाव बताते हुए अपनी असहमति जाहिर की। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि कुमाऊं के आयुक्त दीपक रावत ने भी इसी तरह के निर्देश जारी किए हैं, लेकिन गढ़वाल आयुक्त के बयान पर ही सोशल मीडिया पर अधिक प्रतिक्रिया देखने को मिली है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर पांडेय का आदेश चर्चा का विषय बना हुआ है।
गढ़वाल आयुक्त का आदेश और उसका प्रभाव
गढ़वाल आयुक्त का यह आदेश प्रशासन द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों का पालन प्रतीत होता है। इस प्रकार के निर्देशों का उद्देश्य संभवतः शहरी इलाकों में पशुओं की सुरक्षा और शांति बनाए रखना है, लेकिन हिंदू संगठनों के विरोध के बाद मामला धर्म और परंपराओं से जुड़ा हुआ नजर आ रहा है। आयुक्त के आदेश से कई लोग असहमति जताते हुए कह रहे हैं कि उन्हें केवल दिवाली पर ही निर्देश जारी क्यों किए जाते हैं।
क्या कहता है पशु क्रूरता अधिनियम
भारत में पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के तहत किसी भी प्रकार के जानवरों को नुकसान पहुंचाना गैरकानूनी है। इस अधिनियम के अनुसार, सभी त्योहारों के दौरान जानवरों के प्रति क्रूरता से बचने के निर्देश दिए जाते हैं। प्रशासन का कहना है कि दिवाली के समय पटाखों के शोर से पशुओं को परेशानी होती है, इसलिए यह आदेश जारी किया गया है। वहीं, हिंदू संगठनों का सवाल यह है कि केवल दिवाली पर ही इस अधिनियम को लागू करने की आवश्यकता क्यों महसूस की गई।
इस पूरे मामले में गढ़वाल आयुक्त का आदेश एक चर्चित मुद्दा बना हुआ है, और सोशल मीडिया पर इसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
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