शेख हसीना तथा उनकी पार्टी अवामी लीग को कुछ वक्त के लिए भले राहत दे दे, लेकिन कट्टरपंथी तत्व इस पार्टी के विरुद्ध भरे बैठे हैं। इनमें ‘छात्र’ कम बीएनपी के मुल्ला—मौलवी और मजहबी उन्मादी ज्यादा हैं। हसीना की पार्टी विकास और पंथनिरपेक्षता की बात करती थी तो बीएनपी शरिया और तालिबानी राज की बात करती है, उस पाकिस्तान में मिलने की बात करती है जिसने बांग्लादेशियों को गाजर—मूली की तरह काटा था।
बांग्लादेश से खबर आई है कि वहां की निवर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से प्रतिबंध का खतरा फिलहाल टल गया है। लीग पर ‘बैन’ लगाने की मांग करने वाली कुछ ‘छात्रों’ की याचिका अदालत ने लौटा दी है।
भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटे के विरुद्ध हुए आंदोलन के बाद देश छोड़ने का मजबूर होकर शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दिया था। 5 अगस्त को हुए उस तख्तापलट के बाद से ही उनकी पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ताओं और नेताओं का कट्टरपंथियों ने जीना हराम किया हुआ था। पार्टी को ही खत्म करने का दबाव डाला गया था। इसी के आवेश में कुछ ‘छात्र’ उच्च न्यायालय में चले गए और एक अर्जी लगा दी कि अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाया जाए। लेकिन अब उस याचिका को फिलहाल वापस ले लिया है।
यह असल में शेख हसीना तथा उनकी पार्टी अवामी लीग को कुछ वक्त के लिए भले राहत दे दे, लेकिन कट्टरपंथी तत्व इस पार्टी के विरुद्ध भरे बैठे हैं। इनमें ‘छात्र’ कम बीएनपी के मुल्ला—मौलवी और मजहबी उन्मादी ज्यादा हैं। हसीना की पार्टी विकास और पंथनिरपेक्षता की बात करती थी तो बीएनपी शरिया और तालिबानी राज की बात करती है, उस पाकिस्तान में मिलने की बात करती है जिसने बांग्लादेशियों को गाजर—मूली की तरह काटा था।
अवामी लीग के साथ ही वह याचिका कुछ और दलों पर रोक लगाने की मांग करती थी। लेकिन इसके वापस होने से कई तरह के सवाल भी खड़े हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल कि क्या अदालत, जो आज यूनुस की अंतरिम सरकार के फरमान मान रही है, वह सच में ऐसा कोई फैसला नहीं करना चाहती या फिर याचिका को और तीखा बनाकर फिर से पेश करने की मंशा है?
बता दें कि यह याचिका ‘छात्रों’ दो दिन पहले ही ढाका उच्च न्यायालय में लगाई थी। इसमें अवामी लीग के अलावा 10 और दलों के नाम थे जिनकी राजनीतिक गतिविधियों को बंद कराने की मांग की गई थी। लेकिन अब यह वापस ली जा चुकी है।
अदालत के सूत्रों के अनुसार, याचिका ‘छात्र आंदोलन’ के तीन चोटी के नेताओं, सरजिस आलम, हसनत अब्दुल्ला तथा हसीबुल इस्लाम ने दर्ज कराया था। इसमें 2014, 2018 तथा 2024 के आम चुनावों में गंभीर प्रश्न खड़े किए गए थे। तीनों ही चुनावों में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जीत दर्ज की थी।
‘छात्रों’ की वह याचिका ढाका उच्च न्यायालय की दो जजों की पीठ के सामने लगाई गई थी। लेकिन अगले ही दिन यानी 29 अक्तूबर को सुबह याचिका वापस ले ली गई। जज फातिमा नजीब तथा शिकदर महमूदुर की पीठ ने फिर याचिका को सूची से हटाने का हुक्म जारी कर दिया।
याचिका में अवामी लीग जिन अन्य दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग थी, उनमें थीं जातीय पार्टी (इरशाद), जातीय पार्टी (मंजू), गणतंत्र पार्टी, वर्कर्स पार्टी ऑफ बांग्लादेश, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी, बिकल्प धारा बांग्लादेश, बांग्लादेश तरीकत फेडरेशन, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश तथा जातीय समाजतांत्रिक दल। से सभी दल ‘छात्रों’ की इस हरकत से गुस्से में थे। हालांकि अवामी लीग तो फिलहाल इस झमेले से मुक्त हो गई है, लेकिन यूनुस की अंतरिम सरकार तो उसके छात्र प्रकोष्ठ पर प्रतिबंध लगा ही चुकी है।
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