संस्कृति

मन मिले, संकट टले

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सुनील राय

संयुक्त परिवारों से जुड़ी एक पुरानी लोकोक्ति है कि जहां ज्यादा बर्तन होते हैं, उनका आपस में खटकना स्वाभाविक है। मगर गोरखपुर में रह रहा दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव ‘बाबूजी’ का 26 लोगों का परिवार आज के दौर में भी लोगों के लिए एक मिसाल है। यह पूरा परिवार गोरखपुर के गोलघर, काली जी मंदिर के निकट अपने पैतृक आवास में रहता है।

97 वर्षीय दुर्गा प्रसाद के बड़े बेटे डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव लोकप्रिय समाजसेवी, राजनेता व गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। परिवार के सबसे बड़े पुत्र होने के कारण उन्होंने छोटे भाइयों को पूरा स्नेह दिया। कुछ ही समय पहले उनका स्वर्गवास हो गया। दूसरे बेटे प्रदीप कुमार पूर्वोत्तर रेलवे में वरिष्ठ अधिकारी के पद से वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त हुए। तीसरे बेटे प्रो. मनोज कुमार सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज गोरखपुर में शिक्षा शास्त्र विभाग के हैं। चौथे पुत्र रंजीत कुमार संचार से संबधित प्रतिष्ठान के प्रबंध निदेशक हैं।

पांचवें पुत्र संजीत कुमार रियल स्टेट प्रतिष्ठान के प्रबंध निदेशक हैं। वहीं छठे पुत्र मंजीत कुमार समाज सेवक एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं। लोगों को आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी और महंगाई के समय में परिवार को संभालने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दुर्गा प्रसाद जी बताते हैं, आज के समय में सभी बेटों की आय उनकी जानकारी में है। उनके सभी बेटे अपने बैंक की पासबुक और चेक बुक रखने के लिए उन्हें देते हैं। परिवार की सभी बहुएं उच्च शिक्षित हैं। एक बहू सरकारी नौकरी में और शेष पांच बहुएं गृहिणी हैं।

दुर्गा प्रसाद जी बताते हैं, आज के परिवेश में बहुओं के बीच सामंजस्य बनाए रखना एक चुनौती है क्योंकि सभी अलग- अलग परिवारों से आती हैं। मगर मेरे परिवार के सभी सदस्यों ने यह साबित किया है कि इस चुनौती से पार पाया जा सकता है। बड़ी बहू किरण श्रीवास्तव ने पीएचडी की है तो दूसरी बहू अर्चना श्रीवास्तव एमए और बीएड हैं। तीसरी बहू डॉ. विभा श्रीवास्तव पीएचडी धारक हैं और अपर जिला सहकारी अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। चौथी बहू निवेदिता श्रीवास्तव एमएससी-गृह विज्ञान, एमबीए और बीएड हैं। पांचवीं बहू स्मिता श्रीवास्तव ने जीव विज्ञान से एमएससी एवं बीएड किया है। छठी बहू गृह विज्ञान में एमएससी हैं। परिवार की सभी बहुएं मिल-जुलकर समस्याओं का समाधान करती हैं। सुख-दु:ख में सबका बराबर योगदान रहता है।

साथ रहने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है। सभी के सहयोग से परिवार का संचालन होता है। यदि किसी को पैसे की आवश्यकता पड़ती है तो सभी मदद करते हैं। शादी-विवाह आदि कार्यक्रमों में संबंधों के अनुसार परिवार के सभी सदस्य रिश्ता निभाने के लिए स्वतंत्र हैं। आवश्यकतानुसार जहां सभी सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होती है, वहां परिवार के सभी लोग साथ जाते हैं।

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