राजस्थान

185 का साथ, नहीं कोई तीन-पांच

अजमेर जिले के रामसर गांव में एक ऐसा परिवार रहता है, जिसमें बड़े-छोटे मिलाकर 185 सदस्य हैं। परिवार के लोग मुख्य रूप से खेती और कारोबार करते हैं

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अरुण कुमार सिंह

समय और परिस्थिति का भारतीय परिवारों पर इतना प्रभाव पड़ रहा है कि आज संयुक्त परिवार बहुत कम दिखते हैं। दिखते भी हैं, तो आम तौर पर एक परिवार में 20-25 सदस्य होते हैं। लेकिन राजस्थान में एक ऐसा परिवार रहता है, जिसमें 185 सदस्य हैं। इनमें 65 पुरुष, 60 महिलाएं और 60 बच्चे हैं। दिवंगत सुल्तान माली का यह परिवार अजमेर जिले के रामसर में रहता है। अभी इसके मुखिया हैं सुल्तान माली के पुत्र 94 वर्षीय मोहनलाल माली। इनके अन्य भाई हैं-भंवरलाल, रामचंद्र, छगनलाल, छोटूलाल और बिरंदीचंद।

मोहनलाल माली के पुत्र और एक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक पीरूलाल माली ने बताया, ‘‘यह पूरा परिवार छह भाइयों का है। पहले कम सदस्य थे, तो एक हवेली में रहते थे। बाद में जैसे-जैसे संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे हवेलियां बनाई गईं। अभी पूरा परिवार सात हवेलियों में रहता है। रहने के लिए अलग-अलग कमरे हैं, लेकिन सभी का खाना एक ही जगह बनता है। खाना बनाने के लिए 15 लाख रुपए खर्च करके एक विशाल रसोई घर बनाया गया है, जहां हलवाई खाना बनाते हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया, ‘‘सुबह 35 किलो और शाम को 30 किलो आटे की चपातियां बनती हैं। खाने की अधिकतर चीजें घर की ही होती हैं। गेहूं, सब्जी, दूध-दही, तेल, मक्खन ये सारी वस्तुएं घर की होती हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया कि घरेलू वस्तुओं को छोड़कर रसोई के लिए हर महीने बाजार से लगभग 3,00,000 रुपए का सामान आता है।

पीरूलाल कहते हैं, ‘‘मेरे बाबा सुल्तान माली जी जीवन भर पारिवारिक प्रतिष्ठा के लिए पूरे परिवार को एक साथ रखने का प्रयास करते रहे। इसमें वे सफल भी रहे। बाद में अन्य सदस्यों ने भी उनकी राह अपनाई। यही कारण है कि अभी तक परिवार एक है। कभी थोड़ी-बहुत ऊंच-नीच हो भी जाती है, तो उसे बड़े लोग सुलझा लेते हैं।’’ इस समय परिवार के पास लगभग 1,300 बीघा जमीन है। घर के सभी बच्चों की शिक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है।

परिवार की गोशाला

यही कारण है कि आज इस परिवार में लगभग दो दर्जन से अधिक लड़कियां और लड़के स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। अन्य बच्चे भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कई युवाओं के पास पीएचडी की भी उपाधि है। परिवार के 10 सदस्य शिक्षा, स्वास्थ्य और खनन विभाग में नौकरी करते हैं। बाकी लोग खेती और कारोबार में लगे हैं। मुख्य कारोबार है भवन निर्माण की सामग्री बेचना। इस परिवार के पास भवन निर्माण की हर सामग्री है। सामग्री लाने और ले जाने के लिए चार ट्रक और 25 छोटे वाहन हैं।

परिवार के पास 100 से अधिक गोवंश है। कुछ लोग पशुओं की देखरेख करते हैं, तो कुछ सदस्य खेती में सहयोग करते हैं। परिवार के पास 10 आधुनिक कारें, 80 मोटरसाइकिल, 10 स्कूटी हैं। पीरूलाल के अनुसार, ‘‘परिवार की वार्षिक आय 10 करोड़ रुपए है। इस वर्ष परिवार ने 45 लाख रुपए का आय कर चुकाया है।’’

यह परिवार राजनीतिक रूप से भी सक्रिय है। परिवार की एक बहू गांव की सरपंच रही है। परिवार के लोग चाहते हैं कि उनका परिवार इसी तरह से एक साथ रहे। इसलिए कभी कोई अपनी सीमा नहीं लांघता ताकि यह अनुशासन परिवार में बना रहे।

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