नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ किया है कि 2019 में जामिया इलाके में हुई हिंसा के मामले में आरोपित शरजील इमाम के खिलाफ दायर चार्जशीट में राजद्रोह और धर्म के आधार पर लोगों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने के आरोपों को शामिल करने के मामले में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई पर कोई रोक नहीं है। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट शरजील इमाम के खिलाफ आरोप तय करने के लिए स्वतंत्र है।
दरअसल, सोमवार को दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होने वाले स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर उपलब्ध नहीं थे, जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी। सुनवाई के दौरान शरजील इमाम की ओर से पेश वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट आरोप तय कर रहा है। तब कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट आरोप तय करेगा तो करने दीजिए। तब शरजील के वकील ने कहा कि हमने इन्हीं आरोपों को चुनौती दी है। तब कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करने पर कोई रोक नहीं है। ट्रायल कोर्ट को कार्रवाई आगे बढ़ाने दीजिए।
हाई कोर्ट ने 2 जून 2023 को शरजील इमाम की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। शरजील इमाम का कहना है कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में जिन दो धाराओं को जोड़ा गया है। एक अन्य मामले में उन धाराओं में पहले से ही जांच की जा रही है। ऐसे में इन धाराओं में दोबारा कार्यवाही कानून के खिलाफ है। 2019 के जामिया हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट में देशद्रोह और धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने की धाराओं को शामिल किया गया है। इन धाराओं को शामिल करने के खिलाफ शरजील इमाम ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
शरजील इमाम को 25 अगस्त 2020 को बिहार से गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दाखिल चार्जशीट में कहा है कि शरजील इमाम नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को अखिल भारतीय स्तर पर ले जाने के लिए बेताब था और ऐसा करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा था।
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