वाराणसी, (हि.स.)। गंगा आरती की गरिमा बनाने के लिए रविवार शाम को गंगा आरती समितियों के पदाधिकारियों की बैठक दशाश्वमेध स्थित गंगा सेवा निधि के कार्यालय परिसर में हुई। बैठक में गंगा आरती एवं देव दीपावली समितियों के पदाधिकारियों ने प्रस्ताव पारित किया कि शादी विवाह के समारोह में गंगा आरती नहीं होगी। भगवती मां गंगा की आरती मनोरंजन का विषय नहीं है। शादी विवाह समारोह या किसी इवेंट में मां गंगा की आरती करना धार्मिक अपराध है।
बैठक में तय हुआ कि इस विषय पर भारत सरकार एवं धर्मार्थ मंत्रालय को पत्र भेजा जाएगा। इस पर सभी समितियों ने अपना समर्थन दिया। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने कहा कि गंगा जी की आरती की मर्यादा, पवित्रता का उल्लंघन किसी कीमत पर नहीं बर्दाश्त किया जायेगा। आजकल ऐसा चलन में है की कुछ इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां और व्यक्ति धन लाभ के लिए श्री गंगा आरती का कार्यक्रम शादी विवाह, पार्टियों और अन्य कार्यों में कर रहे है। जो गंगा आरती का एक तरह से अपमान है। यह सर्वथा निंदनीय है। हमारी मांग है कि इस प्रकार के कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि श्री गंगा जी की आरती के कार्यक्रम में भाग लेने के नाम पर कुछ ठगों ने फर्जी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया है। जबकि गंगा आरती में भाग लेने, घाट पर बैठने और दर्शन करने का कोई चार्ज नहीं है। यह कार्यक्रम पूरी तरह से नि:शुल्क है। इसी तरह विख्यात गंगा आरती स्थलों पर गंगा आरती के पश्चात कुछ लोगों द्वारा फर्जी थाली में दीपक जला करके गंगा आरती के नाम पर लोगों को आरती देकर धन वसूली की जा रही है।
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