देहरादून । जागरण पत्रिकाओं के जरिए, संस्कृति को नष्ट करने का नेरेटिव ध्वस्त किया गया,ये बात विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता, केंद्रीय सह मंत्री विजय शंकर तिवारी ने कही। श्री तिवारी यहां विश्व संवाद केंद्र की पत्रिका हिमालय हुंकार के संस्कृति जागरण विशेषांक (दीपावली विशेषांक) के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
विहिप प्रवक्ता ने कहा कि सनातन संस्कृति को सबसे पहले खुद को जानना होगा तभी हम तर्क के जरिए अपने खिलाफ फैलाए जा रहे नेरेटिव को झूठा साबित कर सके। उन्होंने कहा कि हमने खुद ही अपने इतिहास को इसलिए मैथोलॉजी करार दिया क्योंकि अज्ञानता इसका सबसे बड़ा कारण है, अंग्रेजी शिक्षा से पढ़े लिखे लोगो को भारतीय संस्कृति,इतिहास को कभी जानने की कोशिश नही की।
विहिप प्रवक्ता ने अपने संबोधन में कहा कि हम ताजमहल को अलौकिक कहते है लेकिन भगवान जगन्नाथ के मंदिर को अलौकिक नही कहते। ये नेरेटिव बदलने का काम हमारे ही लोगो ने गढ़ा। अब इस नेरेटिव को यदि बदलना है तो सबसे पहले खुद की संस्कृति को जानना होगा।
उन्होंने कहा वीर सावरकर के लिए भी नेरेटिव गढ़े गए कि वो द्विराष्ट्र के हितेषी थे। जबकि ऐसा कुछ नही था। किंतु ये इतिहासकारों ने ये झूठ फैलाया। हमें अपने वेदों को जानने की जरूरत है संहिता क्या है ? ब्राह्मण मंत्र क्या है ? अनन्यक मंत्र क्या है? उपनिषदों में दर्शन शास्त्र क्या है ? इसे जानने की जरूरत है, यज्ञ की परंपराएं क्या थी ? ये भी जानने की जरूरत है।
उन्होंने नास्तिक और आस्तिक के भेद को भी विस्तार से समझाया। योग के जरिए विज्ञान के खोजो को जानने की जरूरत है। उन्होंने गीता को दुनियां के कई देश सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ मानते है।उन्होंने जैन और बौद्ध धर्म को नास्तिक बताने का भी नेरेटिव गढ़ा गया। उन्होंने कहा कि यहूदी और पारसी धर्म में धर्मांतरण पद्धति नही है, लेकिन इस्लाम और ईसाई में धर्मांतरण है जोकि राष्ट्र का धर्मांतरण का षड्यंत्र है विस्तार वादी षड्यंत्र है। इसमें बहुत से उद्योगपति, व्यापारी, लगे है।
इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल, हिमालय हुंकार के संपादक रंजीत ज्याला, विशेषांक संपादक शाक्त ध्यानी , आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख संजय जी, वरिष्ठ प्रचारक विजय कुमार, विभाग प्रचारक धनंजय जी, सत्येंद्र जी, तुलास ग्रुप के चेयरमैन सुनील जैन, विश्वास डाबर, राजकुमार टोंक, लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, रीता गोयल आदि गणमान्य श्रोता मौजूद रहे।
टिप्पणियाँ