चीन की विस्तारवादी नीति को उसी की भाषा में करार जबाव देने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बार अरुणाचल प्रदेश जा रहे हैं। वो वहीं पर 31 अक्तूबर को तिब्बत से सटे तवांग में सैनिकों के साथ दीवाली मनाएंगे।
तवांग में आईटीबीपी, एसएसबी और इंडियन आर्मी का बेस है। रक्षा मंत्री इसी बेस में जवानों के साथ दीवाली मनाएंगे। उससे ठीक एक दिन पहले 30 अक्तूबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू सीनियर मिनिस्टर चोवा मीन की उपस्थिति में भारतीय वायुसेना-उत्तराखंड युद्ध स्मारक रैली की भी शुरुआत की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले पिछले साल अक्तूबर में रक्षा मंत्री ने तवांग में विजयदशमी के अवसर पर जवानों के साथ शस्त्र पूजन किया था और फ्रंट लाइन पर तैनात जवानों के साथ बातचीत भी की थी। उल्लेखनीय है कि अरुणाचल का तवांग भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है। तवांग सेक्टर ही वो स्थान है, जहां 1962 के युद्ध के दौरान चीनियों ने पहले तोप से गोलीबारी देखी थी। इसी सेक्टर में आखिरी युद्धविराम भी लागू किया गया था।
आज से दो वर्ष पूर्व भी चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र में तवांग सेक्टर से होते हुए घुसपैठ करने की कोशिशें की थी। इसके बाद दोनों पक्षों में झड़प भी हुई थी। ये घटना 9 दिसंबर 2022 को हुई थी। उसके बाद से लगातार हालात तनावपूर्ण रहे हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है तवांग
गौरतलब है कि तिब्बत की सीमा से सटा तवांग सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। 50000 से अधिक की आबादी वाला यह छोटा सा शहर प्राकृतिक दृष्टि से बहुत ही खूबसूरत है। लेकिन, चीन इस पर अपना दावा करता है। वो तवांग को छोटा तिब्बत कहता है। पूर्वी लद्दाख में कई गतिरोधों के कारण अप्रैल 2020 में भारत और चीन की सेना के बीच झड़प भी हुई थी। हालांकि, फिलहाल हालात को धीरे-धीरे नॉर्मल बनाने की कोशिशें की जा रही हैं।
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