उत्तर प्रदेश

ये लो!  कांग्रेस ने तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सामने कर दिया सरेंडर, लेकिन क्यों ?

Published by
अभय कुमार

कांग्रेस पार्टी का 2024 में उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के विधानसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के सामने आत्मसमर्पण करना कोई नई राजनितिक घटना नहीं हैं। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी के सामने आत्मसमर्पण किया हो। 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी से वरिष्ठ नेता राज बब्बर को उत्तर प्रदेश से चुनाव नहीं लड़ने की मांग गुपचुप तरीके से रखी। कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी के आगे घुटने टेकते हुए राज बब्बर को हरियाणा के गुड़गांव से उम्मीदवार बनाया।

2019 में राज बब्बर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से उपविजेता थे। उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी महज 4 सीटों पर सीधे मुकाबले में थी। ये सीटें थी रायबरेली, कानपूर, अमेठी वो फतेहपुर सीकरी। पूर्व में राज बब्बर सपा में थे और स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने सपा छोड़ दी और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। तब से सपा को राज बब्बर से राजनितिक दुराव है।

सपा ने उपचुनावों में कांग्रेस को कोई भी सीट न देकर हरियाणा और मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने साथ किए गए बुरे बर्ताव का बदला लिया है। सपा ने इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करके कुछ सीटें हासिल करने की पूरी कोशिश की ताकि अपनी पार्टी को अन्य राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों में फैलाया जा सके। अखिलेश यादव का दीर्घकालिक उद्देश्य सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना है। यही वजह है कि वह अपनी पार्टी का विस्तार उत्तर प्रदेश से बाहर करना चाहते हैं।

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मुलायम सिंह यादव के समयकाल में उनकी तमन्ना थी की सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़ा दिलवाया जा सके। मुलायम सिंह यादव के धुर विरोधी मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी कुछ समय के लिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़ा मिला था। यह मुलायम सिंह की टिस जीवनपर्यन्त बना रहा। उत्तर प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम से साफ पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी को सिर्फ दो सीटों लोकसभा सीटों से ही मतलब है। ये सीटें हैं अमेठी और रायबरेली। ये सीटें गांधी परिवार के राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने के लिए कांग्रेस पार्टी की बुनियादी जरूरत हैं। वर्तमान समय में कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाइयों की कमान स्थानीय सहयोगी दलों के हाथों में है। बिहार में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी कर रही है।

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