बांग्लादेश की इस्लामिक कट्टरपंथी सरकार हिन्दू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के कितने ही वादे करे, लेकिन फिर भी उनकी सुरक्षा को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हिन्दुओं के साथ हो रहे इस भेदभाव के खिलाफ हिन्दू समुदाय के लोगों ने चटगांव के लालदीघी मैदान में हिन्दू समुदाय ने विशाल प्रदर्शन किया। इस दौरान हिन्दुओं ने अल्पसंख्यक समुदायों पर होने वाले हमलों से कानूनी सुरक्षा और उचित मुआवजा देने की मांग की।
इस मौके पर चिन्मय बांग्लादेश सनातन जागोरन मोन्चो के प्रवक्ता और पुंडरीक धाम के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रम्हचारी ने कहा कि अगर कोई हमें इस देश से बाहर करके शांति से रहना चाहते हैं, तो इस बात को उन लोगों को समझने की आवश्यकता है कि ये सीरिया या फिर अफगानिस्तान नहीं है। यहां कोई लोकतांत्रिक ताकत नहीं होगी। बांग्लादेश में साम्प्रदायिकता का अभयारण्य बन जाएगा। यह मंच 5 अगस्त को आवामी लीग सरकार के तख्तापलट के बाद कट्टरपंथियों ने हिन्दू मंदिरों, घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों और शिक्षकों के जबरन लिए गए इस्तीफे सहित आठ मांगों के लिए न्याय की मांग करते हुए दो माह से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
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कई अधिकार समूहों और समाचार पत्रों ने बताया है कि सितंबर 1,000-2,000 से अधिक हमले हुए हैं, जिनमें से 600 से कम घटनाओं में किसी भी तरह की कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नहीं थी। बांग्लादेश की पुलिस ने बताया कि अक्तूबर में वहां पर करीब 35 ऐसी वारदातें हुई थीं, जिनमें दुर्गा पूजा भी शामिल थी। चिन्मय ने कहा कि हम पर जितने ज्यादा अत्याचार किए जाएंगे, हम उतने ही मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि यह एकता बांग्लादेश की आजादी के बाद से बंगाल की संस्कृति की एकता है। कोई भी इस एकता को तोड़ नहीं सकता।
प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश पुलिस सेवा से 93 हिन्दुओं को बाहर निकालने के लिए सरकार की आलोचना की और सवाल किया कि धार्मिक मामलों के मंत्रालय के लिए कुल 15, 000 करोड़ टका में से गैर मुस्लिमों के लिए केवल 200 करोड़ टका का प्रावधान ही क्यों।
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